लोकसभा चुनावों का ऐलान हुआ नहीं कि सभी राजनीतिक दलों ने बड़े-बड़े वादे करने शुरू कर दिए तो किसी ने अपनी सरकार द्वारा किये गये कार्य गिनाने शुरू कर दिए। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने ऐलान किया कि अगर 2019 के चुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो 20% सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये दिए जाएंगे। राहुल गांधी ने इस न्यूनतम आय स्कीम को टॉप-अप स्कीम बताया तो वही अगले दिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह टॉप-अप स्कीम नहीं है। पहली बात तो यही देख ले कि कांग्रेस को ये कन्फर्म ही नहीं है आखिर ये स्कीम है क्या।
वैसे इन चुनावों के प्रचार के दौरान सभी राजनीति दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते है। मोदी सरकार के मंत्रियों को ही देख लीजिये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल के वादे को छलावा बताया तो केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ग्रैंड ओल्ड नारे की न्यू पैकेजिंग बताया है। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गांधी परिवार पर तंज कसते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने भी ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था, लेकिन ये एक चुनावी जुमला ही साबित हुआ।
अब मोदी सरकार इस स्कीम का विरोध कर रही है तो उन्होंने भी इस तरह के कई ऐलान किये थे। याद तो होगा ही, 2014 में लोकसभा चुनाव होने से पहले पीएम मोदी ने भी वादा किया था कि सभी गरीबों के खाते में 15-15 लाख रुपये आएंगे। मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा हो गया और इन पांच सालों में बेचारी देश की आम जनता रोज बैंक में जाकर इस आस में चक्कर लगाती रही कि क्या पता आज मोदी सरकार ने उनका कल्याण कर दिया हो।
एक गौर देने वाली बात ये भी है कि पिछले हुए लोकसभा चुनावों में बने सांसदों की संपत्ति अब इन 5 सालों में कई गुना बढ़ गई है। आगामी लोकसभा चुनावों के लिए दाखिल किये गये नामांकन में इन बढ़ी हुई संपत्तियों का खुलासा हो रहा है तो चुनाव जीतने के बाद किसकी जेब में पैसा जा रहा है? केवल चुनावों में वोट पाकर जीत हासिल करने के लिए ये खोखले वादे किये जाते है, और प्रधानमंत्री, विधायक, सांसद बनने के बाद केवल अपनी जेब का ध्यान रखा जाता है। देश की जनता की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होने की बजाय कमजोर जरुर हुई है। लोग बेरोजगार हुए, गरीबी वही की वही, केवल खोखले वादे और कुछ नहीं। अब देखा जाए तो देश में काफी गरीब लोग है और अगर कांग्रेस सरकार आ गई तो उनके 5 साल इसी में निकल जाएंगे कि किन और कौन-से गरीब लोगों को इस सूची में रखा जाये, जिन्हें ऐलान की गई इस स्कीम का फायदा दिया जाये।
लोकसभा चुनाव: हर साल महिलाओं के खाते में आएंगे 72,000 रुपये- कांग्रेस
लोकसभा चुनावों का ऐलान हुआ नहीं कि सभी राजनीतिक दलों ने बड़े-बड़े वादे करने शुरू कर दिए तो किसी ने अपनी सरकार द्वारा किये गये कार्य गिनाने शुरू कर दिए। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने ऐलान किया कि अगर 2019 के चुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो 20% सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये दिए जाएंगे। राहुल गांधी ने इस न्यूनतम आय स्कीम को टॉप-अप स्कीम बताया तो वही अगले दिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह टॉप-अप स्कीम नहीं है। पहली बात तो यही देख ले कि कांग्रेस को ये कन्फर्म ही नहीं है आखिर ये स्कीम है क्या।वैसे इन चुनावों के प्रचार के दौरान सभी राजनीति दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते है। मोदी सरकार के मंत्रियों को ही देख लीजिये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल के वादे को छलावा बताया तो केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ग्रैंड ओल्ड नारे की न्यू पैकेजिंग बताया है। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गांधी परिवार पर तंज कसते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने भी ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था, लेकिन ये एक चुनावी जुमला ही साबित हुआ।अब मोदी सरकार इस स्कीम का विरोध कर रही है तो उन्होंने भी इस तरह के कई ऐलान किये थे। याद तो होगा ही, 2014 में लोकसभा चुनाव होने से पहले पीएम मोदी ने भी वादा किया था कि सभी गरीबों के खाते में 15-15 लाख रुपये आएंगे। मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा हो गया और इन पांच सालों में बेचारी देश की आम जनता रोज बैंक में जाकर इस आस में चक्कर लगाती रही कि क्या पता आज मोदी सरकार ने उनका कल्याण कर दिया हो।एक गौर देने वाली बात ये भी है कि पिछले हुए लोकसभा चुनावों में बने सांसदों की संपत्ति अब इन 5 सालों में कई गुना बढ़ गई है। आगामी लोकसभा चुनावों के लिए दाखिल किये गये नामांकन में इन बढ़ी हुई संपत्तियों का खुलासा हो रहा है तो चुनाव जीतने के बाद किसकी जेब में पैसा जा रहा है? केवल चुनावों में वोट पाकर जीत हासिल करने के लिए ये खोखले वादे किये जाते है, और प्रधानमंत्री, विधायक, सांसद बनने के बाद केवल अपनी जेब का ध्यान रखा जाता है। देश की जनता की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होने की बजाय कमजोर जरुर हुई है। लोग बेरोजगार हुए, गरीबी वही की वही, केवल खोखले वादे और कुछ नहीं। अब देखा जाए तो देश में काफी गरीब लोग है और अगर कांग्रेस सरकार आ गई तो उनके 5 साल इसी में निकल जाएंगे कि किन और कौन-से गरीब लोगों को इस सूची में रखा जाये, जिन्हें ऐलान की गई इस स्कीम का फायदा दिया जाये।