अजय चौधरी
हरियाणा में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। संभावित प्रत्याशियों ने अपनी हाजरी जनता के बीच करानी शुरु कर दी है। लेकिन हरियाणा का एक कोना ऐसा भी है जहां के लोगों ने ठाना है कि जो प्रत्याशी उनकी सडक बनवाएगा वो उसे ही वोट देंगे। बात सीधी सी है, सडक दो और वोट ले जाओ। हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद के नहरपार क्षेत्र की। जहां बडी-बडी सोसाइटियां तो बसाई गई, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई। बिजली, पानी, सीवर और सडक जैसी समस्याओं को लेकर ये लोग समय समय पर प्रदर्शन करते रहते हैं।
क्या है पूरा मामला-
ग्रेटर फरीदाबाद के ये लोग हर पार्टी के नेताओं से तंग आ चुके हैं। इसलिए उन्होंने इस विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बनाया है और अपने इस अभियान को #NoRoadNoVote हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया है। सबसे अधिक परेशान सेक्टर 82-85 में रहने वाले लोग हैं। यहां अप्रोच रोड का एक 480 मीटर का टुकडा करीब 8 साल से नहीं बन पाया है। जिसके कारण यहां लोगों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है। सडक के इसी टुकडे के कारण यहां रहने वाले लोगों का संघर्ष सडक तक आ गया है। स्थानीय निवासीयों के अनुसार इसके कारण यहां की पूरी प्रथम, बीपीटीपी एलाईट फ्लोरस(ब्लॉक ए, सी, एल, जे और एम), बीपीटीपी एलाईट प्रीमियम, फ्लोरीडा,एसपीआर,प्रणायम नाम की सोसाइटियों में रहने वाले करीब 20 हजार लोग प्रभावित हैं।
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क्यों फंसा है 480 मीटर का पेंच-
सडक की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे स्थानीय लोग बताते हैं कि उनकी लडाई पिछले 8 सालों से जारी है। 480 मीटर के पेंच के चलते उनकी 140 फुट चौडी सडक नहीं बन पा रही है। जिसकी वजह एक आभामहेशवरी नाम के बिजनेसमैन को और स्थानीय नेता को बताया जा रहा है। लोगों के अनुसार एक स्थानीय नेता के इशारे पर ही अधिकारी काम करते हैं। इसलिए उनकी हुडा(हरियाणा अर्बन डवलपमेंट अथोरिटी) के अधिकारियों से मीटिंग का कोई नतीजा नहीं निकलता। 480 मीटर का जो टुकडा है वही आभामहेशवरी का बताया जाता है, जो इस मामले को लेकर कोर्ट में गया हुआ है। हुडा उन्हें दूसरी जगह जमीन देने को तैयार है लेकिन इसपर भी बात नहीं बन पा रही। लोगों के अनुसार सडक के अन्य टुकडे का पेंच हुडा ने सुलझा लिया है। लेकिन हुडा उसपर भी सडक नहीं बना रहा है। उन्होंने अनुरोध किया है कि उसपर काम शुरु कर दिया जाए ताकि फौरी राहत मिल सके लेकिन राजनैतिक इशारे पर वो भी नहीं किया जा रहा है। जब तक वो हुडा प्रशासक को अपना मामला समझाते हैं, तबतक उसका तबादला कर दिया जाता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हर छह महीने में खट्टर सरकार अधिकारियों के तबादले कर देती है।
अब देश के नाम पर नहीं देंगे वोट-
सडक की मांग को लेकर धरने पर बैठे आंदोलनरत लोगों का ये भी कहना है कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के नाम पर मोदी जी को वोट दी थी। मोदी जी तो अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन हरियाणा सरकार उनके इशारे पर काम नहीं कर पा रही है। इसलिए अब वो देश के नाम पर नहीं स्थानीय मुद्दों को लेकर वोट देना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में फर्क होता है। इस चुनाव में देश, सेना और मोदी का मुद्दा हावी नहीं है। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि यहां रहने वाले 20 हजार लोग अब 21 अक्टूबर को नोटा के बटन पर ही अपनी वोट देंगे। उन्हें किसी भी पार्टी पर अब भरोसा नहीं है। इसलिए उन्होंने इन चुनावों का बहिष्कार करने का मन बनाया है।