दुनियाभर में इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप (WhatsApp) का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन हाल ही में बेहद चौंका देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल व्हाट्सएप का कहना है कि इसी साल मई में इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई थी।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में व्हाट्सएप की पैरेंट कंपनी फेसबुक की ओर से इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ पर जासूसी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है। इस मुकदमे को लेकर सुनवाई सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय अदालत चल रही है।
साथ ही, कंपनी का आरोप है कि एनएसओ ने व्हाट्सएप के सर्वर का इस्तेमाल कर 1400 व्हाट्सएप यूजरों के बीच इस मॉलवेयर को फैलाया है। इसके जरिए ही व्हाट्सएप की जासूसी की गई है। इनमें 20 देशों के पत्रकार, सरकार के उच्चाधिकारी, ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट शामिल हैं। वहीं, सबसे बड़ी बात ये है कि ये जासूसी उस समय करवाई गई जब भारत में मई में लोकसभा चुनाव हो रहे थे।
व्हाट्सएप ने भारत में सर्विलांस पर रखे गए लोगों की पहचान और ‘सटीक संख्या’ की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। खबरों की माने तो इस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर के जरिए वाट्सएप इस्तेमाल करने वाले शख्स के मैसेज, कॉल और पासवर्ड की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है।
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वहीं, इजरायल कंपनी ने फेसबुक द्वारा लगाए गए इन सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। साथ ही, कहा कि वह इसके खिलाफ सख्ती से लड़ने के लिए भी तैयार है। इस कंपनी की तरह से कहा गया है कि एनएसओ का एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के उद्देश्य से उन्हें तकनीक प्रदान करना है। उनकी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ उपयोग के लिए डिजाइन या लाइसेंस नहीं है।