राधा कृष्ण को कौन नहीं जानता, प्रेम का प्रतीक है राधा कृष्ण। आज हम आपको राधा कृष्ण के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे आध्यात्मिक सत्य बताते हैं जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। ये सत्य आपको अचंभित कर देंगे। राधा कृष्ण की अलौकिक प्रेम कथा से हर व्यक्ति परिचित है। उन दोनों का लगाव और फिर बिछड़ जाना शायद यही उनकी नियति थी। राधा और श्रीकृष्ण की प्रेम कहानी बचपन में ही शुरू हो गई थी, राधा श्री कृष्ण से उम्र में बड़ी भी थी लेकिन प्रेम की उम्र के दायरे में कर्जदार नहीं रह सकते। राधा और रुक्मणी कृष्ण के जीवन की बड़ी महत्वपूर्ण महिलाएं थीं। एक ने श्री कृष्ण से प्रेम भी किया और विवाह भी वही राधा रानी उनकी प्रेमिका बन कर रह गई।
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राधा कृष्ण के विवाह की चर्चा
ये बातें तो हम बार-बार सुनते हैं कि राधा और कृष्ण केवल प्रेम-प्रेमिका थे। उन दोनों का संबंध नहीं बल्कि आध्यात्मिक संबंध था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधा कृष्ण का विवाह भी हुआ था, इसका वर्णन गर्गसंहिता और ब्रह्मवैवर्त पुराण के खंड 2 प्रकृति खंड अध्याय 39, 40 और 49 में मिलता है।
गर्ग संहिता की रचना महर्षि गर्ग ने की है। श्री गर्ग संहिता मुख्य रूप से श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित ग्रन्थ है। इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हर बात का वर्णन है। श्री गर्ग संहिता को अलग-अलग अध्यायो में बांटा गया है, जिसमें श्री कृष्ण के जन्म से लेकर गौ लोक गमन तक की हर घटना का विस्तार से वर्णन है। श्री गर्ग संहिता के पहले खंड का नाम गौलोक खंड है और गौलोक खंड में दिए गए प्रसंग में भगवान कृष्ण और राधा जी के विवाह का वर्णन है।
राधा कृष्ण के विवाह का विस्तार से वर्णन
1 दिन नंद बाबा बालक श्री कृष्ण लेकर घूम रहे थे उस समय श्री कृष्ण की आयु 2 वर्ष 7 माह की थी। घूमते हुए वे दोनों भांडीरवन पहुंच गए, भांडीरवन पहुंचते ही श्री कृष्ण ने अपनी माया से आंधी तूफान का वातावरण निर्मित कर दिया। कृष्ण की इच्छा से भांडीरवन में बहुत तेज तूफान आ गया। सब देखकर नंदबाबा डर गए और वह श्री कृष्ण को लेकर एक वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और भगवान का स्मरण करने लगे, उसी समय वहां पर देवी राधा आ गई नंद बाबा राधा कृष्ण के अवतार के बारे में जानते थे। नंद ने हाथ जोड़कर देवी राधा की स्तुति की और कुछ समय बाद उन्होंने श्रीकृष्ण को राधा की गोद में दे दिया और वहां से चले गए। नंद बाबा के जाते ही कृष्ण ने अपना दिव्य रूप धारण कर लिया इसके पश्चात राधा कृष्ण दोनों भांडीरवन में घूमने लगे वही देवी ललिता, विशाखा और ब्रह्मा जी भी उपस्थित हो गए, इसके बाद स्वयं भगवान ब्रह्मा ने अग्नि की स्थापना करके देवी राधा और श्री कृष्ण का विवाह करवाया। कृष्ण के विवाह में सभी देवी देवता उपस्थित रहे और उन्हें आशीर्वाद भी दिया। विवाह के बाद श्री कृष्ण ने फिर से अपना बाल रूप धारण कर लिया, देखते ही देखते भगवान ब्रह्मा और सखियां भी चली गई राधा रानी ने श्रीकृष्ण को नंद बाबा के गोद में सौंप दिया। धीरे-धीरे सारे बादल भी छट गए और नंद बाबा श्री कृष्ण को लेकर चले गए।
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