फरवरी के महीने में भारत की ईंधन की मांग 24 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, सस्ते रूसी तेल और उच्च औद्योगिक गतिविधि से बढ़ी। आधिकारिक आंकड़ों से यह पता चला है कि ईंधन की खपत, जोकि मांग के लिए एक प्रॉक्सी है, फरवरी में 5 प्रतिशत से अधिक होकर 4.82 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गई है और यह साल दर साल इसकी 15वीं सीधी वृद्धि है।
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, यह मांग 24 वर्षों में अब तक की सबसे अधिक मांग थी।
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भारत की उच्च ईंधन मांग-
यह उच्च मांग न केवल मजबूत औद्योगिक गतिविधि और घरेलू मांग से प्रेरित थी, बल्कि यह रूसी तेल की सस्ती उपलब्धता भी थी। आप इस बात पर ध्यान दे सकते हैं कि भारत का रिकॉर्ड उच्च मात्रा में कच्चे तेल का आयात कर रहा है। जिसमें की रूस आयात के उच्चतम हिस्से में योगदान देता है।
फरवरी में पेट्रोल की बिक्री-
साल के दूसरे महीने में पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर 8.9 फीसदी बढ़कर 28 लाख टन हो गई, जबकि डीजल की खपत 7.5 फीसदी से बढ़कर 69.8 लाख टन हो गई है।इसी बीच जेट ईंधन की बिक्री 43 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 0.62 मिलियन टन हो गई। रसोई गैस यानी कि (LPG) की बिक्री 0.1 प्रतिशत घटकर 23.9 लाख टन रह गई।
सड़कों के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बिट्टू मैन की बिक्री भी महीने-दर-महीने 21.5 प्रतिशत बढ़ी है, इसके अतिरिक्त जनवरी की तुलना में फरवरी में ईंधन तेल का उपयोग 5 प्रतिशत से थोड़ा अत्यधिक घटा है।
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