मौत की सजा के लिए फांसी की जगह किसी दूसरे तरीके को अपनाये जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया, कि इस मसले पर एक एक्सपर्ट कमेटी बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, कि वह इस मामले पर हर पहलू से जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने का विचार कर रही है। विशेषज्ञ समिति यह तय करेगी की कानून में मौजूद नियमों के मुताबिक, फांसी की सजा पाने वाले कैदियों को फांसी देने से कम दर्दनाक तरीका खोजा जा सकता है या नहीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई को 4 जुलाई तक के लिए टाल दिया है।
वकील ने याचिका दायर की-
मौत की सजा का फैसला देते वक्त यही बोलते हैं, कि जब तक मौत ना हो जाए तब तक कैदी को फांसी पर लटकाया जाए। ऋषि मल्होत्रा नाम के वकील ने इसे एक क्रूर और अमानवीय तरीका बताते हुए एक याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि फांसी की पूरी प्रक्रिया बहुत ज्यादा लंबी होती है, मौत सुनिश्चित करने के लिए फांसी के बाद भी सजा पाने वाले को आधे घंटे तक लटकाए रखा जाता है। याचिका में कहा गया है, कि दुनिया के कई देशों में फांसी का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। ऋषि मल्होत्रा ने अपनी याचिका में कहा कि भारत में भी ऐसा ही होना चाहिए।
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मौत के तरीके अपनाने का सुझाव-
याचिकाकर्ता मल्होत्रा ने मौत के लिए इंजेक्शन देने, गोली से मारने या फिर इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल जैसे कई तरीके अपनाने का सुझाव दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से इस बारे में पेश डेटा पेश करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, कि इस बात की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी, जो ये तय करेगी की मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी की सजा के बजाय कम दर्दनाक तरीके से मौत दी जा सकती है या नहीं।
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