इंसान के जज्बे के आगे मुश्किलें भी अपने घुटने टेक देती है, यह बात एक बार फिर साबित हो चुकी है। बिहार के जहानाबाद में डाली बाजार के रहने वाले विश्वकांत निराला बचपन से ही पोलियो का शिकार हो गए हैं। लेकिन उन्होंने हौसला कभी नहीं छोड़ा कुछ कर दिखाने के जुनून में डूबे विश्वकांत ने कबाड़ के सामान से एक इलेक्ट्रिक साइकिल बना दी, जो सिंगल चार्ज में 40 किलोमीटर तक चलती है।
वेस्ट मटिरियल का इस्तेमाल-
साइकिल बनाने के लिए निराला ने खराब गाड़ियों, मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी रिमोट के वेस्ट मटिरियल का इस्तेमाल किया है। इस साइकिल की खास बात यह है, कि यह 2 गियर वाली है और इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होता। विश्वकांत का कहना है, कि एक बार चार्ज करने पर यह साइकिल 40 किलोमीटर तक चलती है।
यूट्यूब वीडियो से प्रेरित-
विश्वकांत निराला ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब परिवार से आते हैं, आईटीआई में एडमिशन होने के बाद उन्हें कॉलेज जाने में काफी दिक्कत होती थी। ऐसे में विश्वकांत ने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा जिसमें कबाड़ से ही साइकिल बनाने का तरीका बताया गया था, यूट्यूब वीडियो से प्रेरित होकर उन्होंने इस काम को अंजाम दिया।
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क्षमता दिमाग का वहम-
अब अपनी बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल से विश्वकांत निराला पूरे गांव में घूमकर इलेक्ट्रिशियन का काम भी करते हैं। विश्वकांत अपने इस अविष्कार के कारण चर्चा में है और लोग इनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। एक दिव्यांग व्यक्ति के जुगाड़ की मदद से ऐसी साइकिल बनाना वाकई में प्रेरित करने वाला है, हम सब को इनसे सीख लेने की जरूरत है, कि क्षमता सिर्फ हमारे दिमाग का वहम होती है इससे साफ हो जाता है कि इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है।
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