किरण शर्मा
शनिवार को शनिदेव का दिन कहा जाता है इस दिन शनिदेव की पूजा से विशेष लाभ मिलते है। कुछ लोग शनिवार के दिन शनि देव पर तेल चढ़ाते हैं माना जाता है, कि ऐसा करने से लोगों को विशेष कृपा दृष्टि की प्राप्ति होती है। आपने अक्सर लोगों को शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाते हुए देखा होगा लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है और शनि देव पर सरसों का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है आइए जानते हैं-
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शनिदेव को कर्मों का देवता कहा जाता है इसलिए शनि की पूजा- अर्चना से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है और कुंडली में शनि दोष का प्रभाव भी कम होता है। माना जाता है, कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि देव नाराज होते हैं तो सारे काम बिगड़ते चले जाते हैं इसलिए शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए भक्त शनिदेव पर तेल अर्पित करते है और सरसों के तेल का दीपक भी जलाते है।
तेल को लेकर क्या है मान्यता-
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है, कि जब अहंकारी रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था और उन्हें उल्टा लटका दिया था उस समय हनुमान जी भी लंका गए हुए थे। रावण ने हनुमान जी की पूंछ में भी आग लगवा दी थी तब हनुमान जी ने क्रोध में आकर पूरी लंका जला दी थी। लंका जलने से सारे ग्रह आजाद हुए थे लेकिन उल्टा लटके रहने के कारण शनिदेव दर्द से पीड़ित हो रहे थे तब हनुमान जी ने उनके दर्द को कम करने के लिए उनकी देह पर सरसों के तेल की मालिश की थी। हनुमान जी का ऐसा करने पर शनिदेव ने उनसे वर मांगने को कहा था तब हनुमानजी ने कहा, कि कलयुग में मेरी आराधना करने वाले लोगों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना इसलिए शनिवार को शनिदेव के अलावा हनुमान जी की भी पूजा की जाती है।
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