हिंदू धर्म में काले रंग को अशुभता का प्रतीक माना जाता है और किसी भी शादी विवाह, धार्मिक अनुष्ठान या फिर पूजा पाठ में काले रंग को अशुभ माना गया है। इस समय पर कोई भी काले कपड़े नहीं पहनता। लेकिन शादी में दुल्हन को जो मंगलसूत्र पहनाया जाता है, उस मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल किया जाता है, तो आखिर ऐसा क्यों जब सब चीजों में काले रंग को दूर रखा जाता है, तो मंगलसूत्र की मोतियों का रंग काला क्यों होता है। आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
धन दौलत का प्रतीक-
शास्त्रों की मानें तो काले रंग को स्वयं देवताओं ने सर्वश्रेष्ठ माना है। काला रंग धन दौलत का प्रतीक माना जाता है। काला रंग सम्मान और ताकत को दर्शाता है। न्याय के देवता शनि देवता रंग भी काला है, यह काला रंग भेदभाव या फिर पक्षपात नहीं करता। इसा वदह से जज और वकील के कोर्ट काले रंग के होते हैं।
शालिग्राम भी काले रंग के-
नवदुर्गा में से नौ रूपों में सातवां रूप महाकाली का होता है और यह काफी शक्तिशाली है। इनके क्रोध को शांत करने के लिए स्वयं भोलेनाथ उनके चरणों के नीचे आ गए थे। भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम भी काले रंग के ही हैं, जो घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। शास्त्रों में काली गाय की सेवा को श्रेष्ठ माना जाता है। शनि अथवा केतु की नकारात्मक दशा है तो काले कुत्ते को रोटी खिलाने का विधान बताया गया है।
ये भी पढ़ें- Akshaya Tritiya पर भूल से भी ना करें ये काम, जीवन में आ जाएगी परेशानियों की बाढ़
मोतियों का रंग काला क्यों-
तो उसमें सुहाग की निशानी के तौर पर मंगलसूत्र की मोतियों का रंग काला होता है। रिश्ते को लंबे समय तक कायम रखने के लिए मंगलसूत्र की मोतियों का रंग काला बनाया जाता है। शगुन शास्त्र में माना गया है कि घर में काली चीटियों का आना बहुत ही शुभ है। ऐसा माना जाता है कपड़े हों या फिर अगर घर का रंग भी क्यों ना हो वास्तु शास्त्र में काले रंग की बुराई, मृत्यु, औपचारिक जैसे भाव का परिचायक माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में शनि नीच राशि में होते हैं, किसी तरह पीड़ा हो, तब काले रंग के इस्तेमाल से बचना चाहिए। अगर जन्मतिथि में 8 नवंबर ज्यादा बार है तब भी काले रंग से बचना चाहिए।
ये भी पढ़ें- शनिवार को करें ये आसान उपाय, शनिदेव होंगे प्रसन्न, खुल जाएंगे तरक्की के दरवाज़े