पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को एशियाई खेलों के ट्रायल में दी गई छूट पर चुनौती याचिका का फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार तक के लिए सुरक्षित रखा।
वहीं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को एशिया खेलों ट्रायल में सीधे प्रवेश के खिलाफ अंडर-20 विश्व चैंपियन अंतिम पंघाल और अंडर-23 एशियाई चैंपियन सुजीत कलकल की याचिका पर शनिवार तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा। जबकि उन्होंने कहा, कि अदालत का काम यह पता नहीं लगाना है कि कौन बेहतर है, बल्कि कोर्ट काम यह देखना है कि प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया गया या नहीं।
क्या है पूरा मामला-
18 जनवरी 2023 को भारत के लगभग 30 पहलवान कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे थे। इन पहलवानों की अनुआई खुद साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने की थी। पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह पर कई संगीन आरोप लगाते हुए धरने पर बैठे थे। जिसके बाद पहलवानों ने आश्वासन के आधार पर अपना धरना खत्म किया। लेकिन जब पहलवानों के साथ कोई न्याय नहीं हुआ, तो अप्रैल महीने में पहलवान दुबारा धरने पर बैठे थे। धरने में शामिल होने की वजह से कई पहलवानों की प्रैक्टिस बहुत प्रभावित हुई थी। जिसके चलते उन्हें कुछ प्रतियोगिताओं से अपना नाम वापस लेना पड़ा। ऐसे में जब जुलाई के महीने में एशियाई खेलों के लिए कुश्ती के ट्रायल की तिथि निश्चित की गई, तब धरने में बैठे पहलवानों ने इस तारीख को 10 दिन आगे बढ़ाने के लिए पत्र लिखा।
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जब कुश्ती संघ का संचालन कर रही AIO की तदर्थ सीमित को यह पत्र मिला। तब उन्होंने विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को एशियाई खेलों ट्रेन में छूट दी। तदर्थ समिति ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को ट्रायल की छूट देते हुए सीधे एशियाई खेलों में प्रवेश दे दिया। वहीं कुछ पहलवानों को तदर्थ सीमित का यह फैसला रास नहीं आया। जिसका विरोध मुख्य रूप से अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल जैसे पहलवान ने जताया और निष्पक्ष ट्रायल की मांग करते हुए कोर्ट की याचिका दायर कर दी। अब सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना फैसला देगा, जिस पर सभी की नजरें टिक हुई है।
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