दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल बीके सक्सेना के बीच घमासान जारी है। यह लोग अब दिल्ली में पानी के बिलों को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं। LG ने केजरीवाल पर पानी के बिल की माफी योजना को लेकर ब्रह्मक कहानी गढ़ने का आरोप लगाया है। LG वीके सक्सेना का कहना है कि पानी वित्त और शहरी विकास विभाग पूरी तरह से दिल्ली सरकार के कंट्रोल में आता है। लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा आप फैसला लीजिए, दूसरों पर आरोप मत लगाइए। राजभवन की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर चार पेज का लेटर जारी कर किया गया।
LG writes open letter to CM Kejriwal; says Water, Finance, UD Departments totally under your control, I’ve nothing to do with it
Take decisions, don’t blame others.Benefit all 27 lakh consumers, why only 10 lakh? Return the bills paid by 17 lakh honest consumers with interest: LG pic.twitter.com/ssbAintHNy
— Raj Niwas Delhi 🇮🇳 (@RajNiwasDelhi) February 28, 2024
गाली देकर भाग जाने में महारत हासिल-
LG ने केजरीवाल को लेकर कहा, आपके बयान झूठे हैं, आपने गाली देकर भागने में महारत हासिल की है। आप सभी 27 लाख ईमानदार उपभोक्ताओं को फायदा दें। केवल 10 लाख को क्यों 17 लाख उपभोक्ताओं का पैसा ब्याज समेत लौटाइए। अरविंद केजरीवाल ने पानी के बढ़े बिलों को लेकर LG और बीजेपी पर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने LG को बोल दिया है, इसलिए यह योजना लागू नहीं कर रहे हैं।
बढ़े हुए बिलों को लेकर अभियान-
लेकिन मैं इसे लागू करवा कर रहूंगा और सीएम का कहना ही की जब घी सीधी उंगली से नहीं निकलता तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। अरविंद केजरीवाल और पूरी आम आदमी पार्टी दिल्ली में बढ़े हुए बिलों को लेकर मुद्दे पर अभियान चला रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा लोगों के बढ़े बिल आए हैं। ज्यादातर लोगों के बिल कोरोना के दौरान से ही गलत आने शुरू हुए। क्योंकि उस समय मीटर रीडिंग नहीं ली जा रही थी।
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सेटलमेंट स्कीम-
इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने एक वन टाइम सेटलमेंट स्कीम पास की है। इस योजना के तहत 90 से 95 फ़ीसदी ब्लॉक का निपटारा हो जाना था। लेकिन केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि वित्त सचिव इससे जुड़ी फाइल पर अपने कमेंट नहीं दे रहे हैं। शहरी विकास सचिव का कहना है कि जब वित्त सचिव अपने कमेंट नहीं देंगे, तब तक वह इस मामले को कैबिनेट में नहीं लेकर आएंगे। जब तक यह योजना कैबिनेट में पास नहीं होगी, तब तक यह अटका ही रहेगा।
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