अजय चौधरी
भारत के पास अब अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम है, इसरो की ये कोई छोटी मोटी नहीं बहुत बड़ी उपलब्धि है। श्रीहरीकोटा सेंटर से IRN-SS-1G के प्रक्षेपण के साथ भारत स्वदेशी नैविगेशन सेटेलाइट सिस्टम हासिल करने वाला पांचवा देश बन गया है।
भारत को खुद के नेविगेशन सिस्टम की सख्त जरूरत थी। खासकर भारतीय सेना को इससे काफी मदद मिलेगी। क्योंकि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान यूएस ने भारत को जीपीएस इनफार्मेशन देने से साफ़ मना कर दिया था। साथ में आपदा प्रबंधन में भी स्वदेशी जीपीएस प्रणाली महत्वपूर्ण साबित होगी। समय से पूर्व मौसम की सही जानकारी मिलने से देश के किसानों को भी इसका सही फायदा मिल पाएगा।
हालांकि आईआरएनएसएस-1जी के संचालन में अभी एक माह का समय लगेगा। मगर इसके संचालित होने के बाद धरती के साथ साथ समुद्र का भी नेविगेशन आसानी से हो पाएगा। वाहन के मार्ग का पता लगाना और अधिक सुगम और सटीक हो जाएगा। जिससे पर्यटकों को दिशाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। ये पीएसएलवी का लगातार 34वां सफल अभियान था। सातों उपग्रह की कुल लागत 1420 करोड़ रुपये है। जोकि माल्या के 9400 करोड़ बैंक कर्ज से काफी कम है जिसपर हमें गर्व होना चाहिए।