फरीदाबाद। गन्नौर एसडीएम रहीं वर्तमान में डबवाली की एसडीएम डॉ. संगीता तेतरवाल (आईएएस) ने एसएचओ गन्नौर को शिकायत भेजी है। इसमें दो न्यायिक अधिकारियों द्वारा काम में व्यवधान डालने के लिए केस दर्ज करने को कहा गया है। इस शिकायत की एक प्रति डीसी एसपी को भेजी गई है। संगीता तेतरवाल को फरवरी में हुए जाट आरक्षण के दौरान उनकी सूझ बूझ के चलते प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उन्हें सम्मानित करने का भी निर्णय लिया है।
डॉ. तेतरवाल का आरोप है कि जब वह गन्नौर में बतौर एसडीएम तैनात थीं, उस दौरान उनके एसडीएम कांप्लेक्स की पार्किंग में जहां एसडीएम की सरकारी गाड़ी होती थी। दो न्यायिक अधिकारियों ने एसडीएम की गाडी के आगे-पीछे अपनी निजी गाड़ियां खडी कर दी। इसकी वजह से एसडीएम की गाडी का रास्ता बाधित हुआ। इस बारे में दोनों न्यायिक अधिकारीयों को कई बार मौखिक निवेदन किया गया कि वे अपने वाहन हटाएं। उनके इस असभ्य व्यवहार की वजह से एसडीएम को सरकारी कामकाज के लिए आने जाने में बाधा पडी। उन्होंने इस मामले की जानकारी जिला जज को भी दी थी। जब वहां से कोई कार्यवाही नहीं हुई तब उन्होंने यह पत्र लिखा है। एसडीएम के सरकारी वाहन में बाधा पैदा करने और इसे हटाने की बात अनसुनी करने से सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट का अनादर हुआ, इसलिए दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। डॉ. संगीता तेतरवाल ने यह पत्र तीन जून 2016 को डबवाली से लिखा।
गन्नौर के एसएचओ आशीष कुमार ने बताया कि एसडीएम द्वारा भेजा गया शिकायती पत्र मिल गया है। अभी जाट आरक्षण आंदोलन के कारण चल रही व्यस्तता के कारण उच्च अधिकारियों से इस पर बात नहीं हो पाई है।
मालुम हो इस युवा आईएएस अधिकारी संगीता तेतरवाल ने अपने सहास के बदौलत बहादुरी से आंदोलनकारीयों का सामना किया था। फरवरी माह में हुए आरक्षण आंदोलन के दौरान पांच हजार की भीड गन्नौर में घुसने के लिए, पथराव और आगजनी पर उतरी तो एसडीएम रही तेतरवाल ने बहादुरी की मिशाल कायम करते हुए केवल गन्नौर की मासूम जनता की हिफाजत के लिए डटी रही। तब उनके मन में जनता का चेहरा बना और तब उन्होंने बाकि सब भगवान पर भरोसा कर अंतिम सांस तक लोगो की हिफाजत करने का फैसला लिया और भीड के बीच पहुंच गई। परिस्थितियां बदलती गई। उन्होंने कभी भावनात्मक रुप से भीड को रोकने का प्रयास किया तो कभी उसी भीड को हटाने के लिए फोर्स तक लगा दी। बस इरादा इतना मजबूत था कि किसी को नुकसान ना हो। बिगडती स्थितियां नियंत्रण में आने पर ही गन्नौर में एसडीएम के तौर पर तैनात रहीं आईएएस अधिकारी संगीता तेत्रवाल ने राहत की सांस ली।
जलने से बचाया था शहर
जाट आंदोलन के दौरान गन्नौर में रात के वक्त भीड़ ने अचानक आगे बढ़ने का प्रयास किया। संगीता तेत्रवाल ने भीड को रोकने का पूरा प्रयास किया। बातचीत सिरे नहीं चढ़ती दिखी तो भीड़ ने हमला कर दिया। गाड़ी जला दी गई लेकिन वो मौके से नहीं हटी। फोर्स के साथ दंगाइयों को पीछे धकेलते रही। नतीजतन शहर को जलने से बचा लिया गया। भीड़ जिसे टारगेट करना चाहती थी वहां तक तेतरवाल ने उन्हें नहीं जाने दिया। अगर भीड वहां तक पहुंच जाती तो सब कुछ खत्म हो जाता। उनकी इस बहादुरी को देखते हुए प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है।
मजबूत रणनीति से किया भीड पर काबू
जब भीड़ कई हजार को पार कर गई तो रणनीति में थोड़ा बदलाव किया गया। बातचीत के माध्यम से उन्हें रोक लिया गया और इसी दौरान ज्यादा फोर्स की मूवमेंट करवाई गई। बातचीत और मूवमेंट के बीच में इतना वक्त मिल गया कि हम अपनी योजना को लागू करने की ओर बढ़ पाए और लाचारी के हालात कम हो गए। यही प्लस प्वाइंट था। सभी आंदोलनों में एक जैसी परिस्थिति काम नहीं करती। मौके पर परिस्थिति बनती और बिगड़ती है। इसलिए रणनीति आंदोलन के मौके पर ही बनानी पड़ती है जिसमें संगीता तेतरवाल कामयाब रहीं।
परिस्थितियां राज्य के कई हिस्सों में बिगड़ी थी। उसका असर गन्नौर में भी हुआ। सुबह 300 से 400 लोग आए। पुल के नीचे एकत्रित हुए। भावनात्मक रूप से उनसे प्रशासन ने जुड़ने का प्रयास किया और वो मान भी गए तथा घरों को लौट गए। जैसे-जैसे अफवाहों का दौर बढ़ा फिर से भीड़ शहर की ओर हो गई। हालात फिर बिगड़ते नजर आए वे लोगों के बीच रही। फिर उन्हें भी वापस भेज दिया गया। मगर अगली सुबह और भयावह नजर आई। जब पांच हजार की भीड़ शहर में घुसने के लिए मरने-मारने पर उतारू थी। थोड़े से कदम भी डगमगा जाते तो बड़ी विपदा होती।