फरीदाबाद। हरियाणा सरकार गुडगांव में सरकार के दो साल पूरे होने पर स्वर्ण जंयती महोउत्सव मनाने जा रही है। मगर दूसरे साल में सरकार की अनुभवहीनता ने उसे बैकफुट पर लाकर खडा कर दिया। ये खट्टर सरकार की ही अनुभवहीनता थी कि आरक्षण को लेकर हुए जाट आंदोलन सरकार से संभला नहीं जिसका परिणाम हरियाणा को भारी नुकसान के रुप में झेलना पडा।
अक्तुबर 2014 में मिनिमम गवर्मेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस के नारे के साथ हरियाणा की सत्ता में आई भाजपा सरकार के दो साल सरकार चलाने की कला सीखने में ही गुजर गए। संघ के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर ने पहली बार किसी राज्य की कमान संभाली। खट्टर कभी विधायक भी नहीं रहे मगर मोदी और संघ की पसंद पर उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठा दिया गया। खट्टर के साथ सरकार के बहुत से विधायकों में भी अनुभवहीनता देखने को मिली।
सरकार आए दिन बडे स्तर पर अधिकारियों के तबादले करती रही जैसे हर समस्या का समाधान अधिकारियों के तबादले करने से हो जाएगा मगर सरकार ने अपने मंत्रीयों और विधायक की कार्यप्रणाली पर कभी नजर नहीं दौडाई ना उन्हें बदलना चाहा। हरियाणा सरकार बीजेपी मुख्यालय के आदेशानुसार काम करती रही और सिर्फ आरएसएस की नीतियों को आगे बढाती नजर आई।
फरवरी में हुए जाट आरक्षण आंदोलन में तीस से अधिक लोग मारे गए और प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पडा। आंदोलन की जांच के लिए बनाई गई यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में अपनी ड्यूटी का सही तरह से निर्वहन ना करने पर पुलिस रिफोर्मस जैसे कदम उठाने के सुझाव दिए थे। रिपोर्ट के अनुसार सरकार हिंसा के दौरान स्थति को संभालने और निर्णय लेने में नाकामयाब रही।
भगवाकरण सरकार पर भारी नजर आया। सरस्वती नदी के मुद्दे, स्कूल में बच्चों को गीता के श्लोक पढाने से लेकर सरकार स्वास्थय सेवाओं पर ध्यान देने की बजाए गौ रक्षा में ज्यादा दिलचस्पी लेती नजर आई। सडकों पर आवारा गायों की संख्या बढने के कारण लोग हादसों का शिकार हुए और कुछ लोगों की मौत भी हुई। गौरक्षा सिर्फ भाषणों तक ही सिमट कर रह गई, प्रदेश में गायों को ढंग से चारा भी नसीब ना हुआ।
बीफ पर राजनीति ने भी सरकार की खूब किरकिरी करवाई। सरकार ने मेवात से ब्रियानी के सैंपल टेस्टिंग के लिए लिए गए सैंपलों का मुद्दा भी खूब उछला। मार्च में हरियाणा सरकार ने हैपनिंग हरियाणा समिट का आयोजन किया। सरकार ने छह लाख करोड के एमओयू साईन होने का दावा किया पर राज्य में इतनी इनवेसटमेंट नहीं आ पाई। वहीं एचसीएस भर्ती में पार्दशिता के नाम पर सरकार ने काफी सुर्खियां बटोरी पर भर्ती में चार कंडिडेटों की मौत से इस पर भी सवालिया निशान लग गए।