अजय चौधरी।
नई दिल्ली। नोटबंदी के बडे फैसले के बाद उत्तरप्रदेश में भाजपा का वोटबैंक बढता हुआ दिख रहा है। कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार के इस बडे फैसले से लोगों का रुझान भाजपा की तरफ बढा है। विरोधी दल सपा, बसपा और कांग्रेस भी अब इस बात को स्वीकार करने लगे हैं। बसपा सुप्रीमो मायवाती ने अपने आज के बयान में कहा है कि हम कालेधन की मुहिम के खिलाफ नहीं है। हमारा विरोध नोटबंदी के बाद 90 प्रतिशत लोगों को हो रही परेशानी को लेकर है। सपा सहित कांग्रेस भी सिर्फ लोगों की परेशानी का मुद्दा उठाए है। क्योंकी उनके पास सरकार के इस फैसले का विरोध करने का और कोई विकल्प नहीं है।
उत्तरप्रदेश में चुनावी तैयारीयों की बात करें तो भाजपा की परिवर्तन यात्रा में उमड रही भीड से पार्टी के चहेरे पर चमक ला दी है। यूपी के बडे शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक सबसे अधिक पोस्टर भाजपा के ही देखने को मिल रहे हैं। भाजपा जनता के सहयोग से इतनी उत्साहित है कि अब वो यूपी चुनाव में अन्य दलों से गठबंधन की बजाए विलय पर जोर लगा रही है। जाहिर है यूपी चुनाव प्रचार में सभी पार्टियों का बडी मात्रा में कालाधन लगना था। नोटबंधी के फैसले के बाद राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा ने अपना कालाधन पहले ही सफेद कर लिया है और उसके बाद ये बडा फैसला लिया गया है। बिहार में भाजपा नेताओं के नोटबंदी के फैसले से पहले बडी मात्रा में जमीन खरीदने का मामला भी सामने आया है।