कशमीर मांगे आजादी, बस्तर मांगे आजादी जैसे नारे आपकी नजर में देशद्रोह हो भी सकता है और नहीं भी मगर इस तरह के नारों की देश में जरुरत ही क्यों पडी। क्यों देश इस बहस में पडा है कि कौन देशद्रोही है और कौन देशभक्त है। अगर गुरमेहर कौर को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो फिर सहवाग, रणदीप हुड्डा, योगेश्वर दत्त और फौगाट सिस्टर्स को भी है।
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