सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती का गुरुवार को निधन हो गया। जस्टिस भगवती पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। न्यायिक क्षेत्र में जस्टिस भगवती ने पीआईएल यानी जनहित याचिका को लागू कर काफी ख्याति पाई थी। 95 वर्षीय जस्टिस भगवती अपने पीछे पत्नी प्रभावती भगवती और तीन बेटियों को छोड़कर चले गए हैं। उनका अंतिम संस्कार 17 जून को किया जाएगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जस्टिस पी एन भगवती के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि जस्टिस भगवती ने न्यायिक व्यवस्था को आम व्यक्ति के सुलभ बनाया।
आपको बता दें कि देश के 17वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भगवती जुलाई 1985 से दिसंबर 1986 तक शीर्ष कोर्ट के उच्च पद पर रहे। इसके अलावा उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थी और जुलाई 1973 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
इसके साथ जस्टिस भगवती ने कैदियों के पक्ष में एक फैसला देते हुए कहा था कि उनके भी मौलिक अधिकार होते हैं। 1978 में मेनका गांधी के पासपोर्ट केस में दिया गया जस्टिस भगवती का फैसला महत्वपूर्ण है। इस फैसले में जीवन के अधिकार को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा था कि एक व्यक्ति के आवागमन को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। उन्होंने फैसला दिया था कि एक व्यक्ति को पासपोर्ट रखने का पूरा अधिकार है। मशहूर अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और न्यूरोसर्जन एन.एन. भगवती उनके भाई हैं।