बिहार में महागठबंधन की संभवानाओं को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि दोनों पार्टी के नेता गठबंधन में दरार की खबर से इनकार करते आ रहे हैं। लेकिन अब महागठबंधन के दो सबसे बड़े सहयोगी आरजेडी और जेडीयू में शब्दों की जंग शुरू हो गई है। आरजेडी के वरिष्ठ विधायक के बयान के 24 घंटे के अंदर जेडीयू की ओर से भी जवाब दिया गया। आरजेडी विधायक ने खुद को महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक बताते हुए कहा था कि जो हम चाहेंगे उसे अन्य सहयोगियों को स्वीकार करना होगा। इस पर पलटवार करते हुए जेडीयू ने शुक्रवार को कहा कि सत्ता में रहने की तुलना में नीतीश कुमार की छवि उसके लिए ज्यादा जरुरी है। 71 विधानसभा सदस्यों वाली जेडीयू ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो पार्टी को सरकार से बाहर निकलने में सिर्फ पांच मिनट लगेगा।
जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार हैं, उनके अलावा और कोई नहीं है। जो लोग धमका रहे हैं कि उनके पास 80 विधायक हैं, उन्हें किसी भी तरह के भ्रम में नहीं रहना चाहिए। हमें सरकार और सत्ता से बाहर निकलने में 5 मिनट का भी समय नहीं लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड हमेशा साफ रहा है। हमे इस तरह के बयान देकर महागठबंधन को खतरे में नहीं डालना चाहिए बल्कि उन आरोपों के जवाब लेकर सामने आना चाहिए जो तेजस्वी यादव पर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता हमारे बहुत कम महत्वपूर्ण है। नीतीश कुमार के खेमे ने साफ कर दिया है कि वह करप्शन के मामले में किसी तरह का समझौता नहीं करेगी और पूर्व में जेडीयू ने इस तरह की जीरो टोलरेंस पॉलिसी अपनाई भी है।
बता दें कि आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी के पास 80 विधायक हैं और पार्टी जो चाहेगी वही होगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास 80 विधायक हैं और हम जो चाहेंगे, वही होगा। किसी के कह देने भर से तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे।” बेनामी संपत्ति मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम सामने आने के बाद बिहार में सत्ता की हलचल तेज हो गई। 11 जुलाई को जेडीयू की ओर से पार्टी विधायकों और नेताओं की अहम बैठक बुलाई गई थी। बैठक के बाद आरजेडी को तेजस्वी यादव के ऊपर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए 4 दिन का समय दिया गया था। 4 दिन का अल्टीमेटम शनिवार को समाप्त हो रहा है।