हम पूरी तरह भारतीय नागरिक है और भारत ही हमारा घर है। इसलिए भारत में असुरक्षित होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। मैं कई बार अपने रिश्तेदारों से मिलने चीन गया हूं लेकिन भारत में जितनी आज़ादी से हमारा परिवार रहता है वह बात चीन में नहीं है। चीन भी हमें वहां जाने पर एक भारतीय नागरिक के तौर पर ही देखता है।
ये कहना है 61 साल के पॉल लियॉन्ग का हैं, जो चीनी मूल के है, लेकिन मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में रहते । दरअसल पॉल के पूर्वज दक्षिण चीन के कोंगटूंग प्रांत से करीब डेढ़ सौ साल पहले कोलकाता होते हुए सिलहट (अविभाजित भारत का हिस्सा) के रास्ते मेघालय में व्यापार करने आए थे और फिर वे यहीं बस गए। लियॉन्ग चीन की हन जनजाति से हैं।
पॉल ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं है। शिलॉन्ग में कई चीनी मूल के लोग हैं जिनके पूर्वज कई साल पहले आकर यहां बस गए हैं और अब पूरी तरह से भारत के रंग में रंग गए हैं। इन्हें भारतीय होने पर गर्व है।
सिक्किम सीमा के पास भूटान के डोकलाम क्षेत्र को लेकर भारत और चीन के बीच पनपे ताज़ा विवाद पर इन लोगों का साफ़ कहना है कि ये एक और युद्ध नहीं चाहते और इस पूरे प्रकरण में इनकी भावनाएं भारत से जुड़ी हैं।
पॉल के छोटे भाई जॉर्ज लियॉन्ग ने बीबीसी से कहा कि, “चीन ने हम लोगों के लिए आज तक कुछ नहीं किया है। बीजिंग से जो अलर्ट रहने की बातें कही जा रही है उससे हमें कोई मतलब नहीं हैं। हमें सिर्फ़ हिंदुस्तान से मतलब है।
1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के दौरान यहां रह रहे चीनी परिवारों को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था। युद्ध के बाद उनमें से कई लोग रिहा होने के बाद यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस गए जबकि कई यहीं रुक गए।