दस्तक न्यूज सेंटर
फरीदाबाद,29 सितंबर। शहर में पिछले साल रावण राजनीति का शिकार हो गया था और बिना जले रह गया था लेकिन इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद रावण दहन करने फरीदाबाद आ रहे हैं। पिछली बार रावण और मेघनाथ के पुतले भाजपा की गुटबाजी के इस कद्र शिकार हुए थे कि सिद्धपीठ हनुमान मंदिर को बिना जले रावण के पुतले की शवयात्रा निकालनी पड़ी थी।
मुख्यमंत्री के शहर आने का कार्यक्रम एकदम बनने से पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं। सुरक्षा के मध्यनजर पुलिस ने एनआईटी के दशहरा मैदान को अपने कब्जे में ले लिया है और बांस के डंडो से नए सिरे से बैरिकेटिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री के लिए विशेष तौर पर स्टेज का निर्माण भी किया जा रहा है, जहां से वो लोगों को संबोधित करेंगे और दशहरे की शुभकामनाएं देंगे। डीसीपी एनआईटी आस्था मोदी ने बताया की पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। मैदान में चार प्रवेश द्वार बनाए गए हैं जिनमें से एक द्वार से वीआईपी दाखिल होंगे बाकी तीन द्वारों से आम जनता दाखिल हो पाएगी। मोदी ने बताया कि उनकी कोशिश रहेगी कि आम लोगों को इस त्यौहार को लेकर कोई परेशानी ना आए। उन्होंने जनता से अपील की की वह भी पुलिस का सहयोग करें और त्यौहार का आंनद लें।
पिछली बार रावण को लेकर विवाद भाजपा के पूर्व विधायक चंदर भाटिया के भाई और श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया बनाम बडखल की विधायक और पूर्व मुख्य संसदिय सचिव सीमा त्रिखा के बीच था। इसमें आधी भाजपा सीमा के साथ थी तो जबकि दूसरा धड़ा भाटिया को बढ़ावा दे रहा था। श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर कमेटी ओल्ड फरीदाबाद से विधायक और हरियाणा के उद्योग मंत्री विपुल गोयल से रावण दहन करवाना चाहती थी। लेकिन एनआईटी का दशहरा मैदान सीमा त्रिखा के क्षेत्र में आता है। इसलिए अहम की लड़ाई की सजा जमीन पर पड़े रावण और मेघनाद के पुतलों को भुगतनी पड़ी थी।
लेकिन इस बार सीमा त्रिखा से पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिव का पद भी छिन गया और वो केवल विधायक ही रह गई। लेकिन विपुल गोयल मौजूदा विधायक और मंत्री भी हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि विपुल गोयल को रावण दहन से रोकने के लिए सीमा गुट ने मुख्यमंत्री के सामने रावण दहन का प्रस्ताव रखा और उन्होंने उसे स्वीकार भी कर लिया। इसे सीमा और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल खेमें की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है।
पिछली बार बिना जले रह गया था रावण, अब खुद मुख्यमंत्री करेंगे रावण दहन
Dastak India Editorial Team
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