राहुल गाँधी आज कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुन लिए गए हैं। राहुल गाँधी ने 4 दिसंबर को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था। राहुल गाँधी के पक्ष में 86 लोगों ने प्रस्ताव किया था। इसके आलावा किसी और ने नामंकन नहीं भरा था। नामंकन वापस लेने की समय सीमा 3 बजे तक तय थी। इसके बाद करीब 3.30 बजे एक प्रेसवार्ता में राहुल गाँधी के नाम की घोषणा कर दी गई। राहुल, गांधी परिवार के छटे सदस्य होगें जो कांग्रेस पार्टी की कमान संभालेगे।
कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने से पहले उनकी हैसियत कांग्रेस में नंबर दो की रही है। हलांकि राहुल कांग्रेस में हमेशा कुछ नया सीखने की बात कहते रहते हैं। 2004 में राहुल ने राजनीति में कदम रखा और अमेठी से लोकसभा चुनाव जीता। साल 2012 में यूपी चुनाव में नेतृत्व किया,लेकिन सिर्फ 28 सीटें ही जी सके। 2013 में कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए गए। लेकिन उसी साल दाग़ियों पर आए अध्यादेश को बेकार बताकर राहुल गांधी ने पार्टी को शर्मिंदा कर डाला।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत राहुल ने ही की लेकिन 44 सीटों पर ही कांग्रेस सिमट गई। साल2015 में राहुल ने सूट-बूट की सरकार कहकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उनका ये बयान काफी चर्चा में रहा। 2015 में ही बिहार में महागठबंधन किया और बीजेपी के खिलाफ जीत हासिल की। साल 2017 में 5 में से 4 राज्यों में कांग्रेस हारी तो यूपी में सिर्फ़ 7 सीटें ही मिली। 2017 में कांग्रेस ने पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन को हराया और वहां कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार बनी।
इसी साल अमेरिका की ‘बहुचर्चित यात्रा‘ से लौटकर आए राहुल गांधी में गजब का बदलाव दिखा। उनके भाषण में गजब की धार दिखाई दी। उन्होंने खुले तौर पर इस बात को स्वीकारा किया कि 2014 में कांग्रेस इसलिए हारी क्योंकि पार्टी में अहंकार था।
इसके बाद 201 7 के गुजरात चुनाव में उन्होंने ताबड़तोड़ बयान दिए और ‘गब्बर सिंह टैक्स‘ और ‘मोदी मेड डिज़ास्टर‘ जैसे चुटीले नारे दिए। कांग्रेस भी पहली बार सोशल मीडिया पर बीजेपी को टक्कर देती दिखाई दी। जुलाई 2017 से ट्वीटर पर 20 लाख फॉलोअर बढ़े। गुजरात चुनाव के बीच में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के पीछे कांग्रेस का बड़ा दांव माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस गुजरात चुनाव जीते या हारे फायदा राहुल गांधी को ही होगा।