कांग्रेस के ही राह पर चलते हुए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बीरभूमि जिले के बोलपुर कस्बे में सोमवार (8 जनवरी) को बड़े पैमाने पर ‘‘ब्राह्मण एवं पुरोहित’’ सम्मेलन आयोजित किया। दिनभर चले सम्मेलन का आयोजन टीएमसी के वीरभूम जिले के अध्यक्ष अनुब्रत मोंडल ने किया। मोंडल के मुताबिक इस सम्मेलन का उद्देश्य बीजेपी द्वारा हिंदू धर्म की जो गलत व्याख्या की गई है, उसे उजागर करना है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म के सही अर्थ पर चर्चा करना है। आपको बता दें कि इसके पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गंगा सागर द्वीप में मकर संक्रांति की तैयारियों का जायज़ा लेने जा चुकी हैं। बीजेपी का आरोप है कि मुस्लिम तुष्टीकरण के बाद ममता बनर्जी अब हिंदुओं को लुभाने में लगी है
इससे पहले 3 जनवरी को ही बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह बीजेपी के पक्ष में ‘‘हिंदू वोटों’’ को इकट्ठा नहीं होने देने के मकसद से ‘‘नरम हिंदुत्व’’ अपना रही हैं । दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण करती है और राज्य के कई हिस्सों में इस पर प्रतिक्रिया शुरू हो गई है ।
उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब ममता ने 2 जनवरी को बीरभूम जिले में एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। कोलकाता में पार्टी की दो दिवसीय सांगठनिक बैठक के इतर दिलीप ने कहा, ‘‘यदि हम मंदिर जाते हैं तो हमें सांप्रदायिक कहकर प्रचारित किया जाता है । लेकिन यदि तृणमूल कांग्रेस के नेता मंदिर जाएं तो उन्हें धर्मनिरपेक्ष कहा जाता है । तृणमूल कांग्रेस बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों को इकट्ठा नहीं होने देने के लिए बंगाल में नरम हिंदुत्व अपना रही है ।’’
गुजरात में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करने का हवाला देते हुए दिलीप ने कहा कि ममता ‘‘नरम हिंदुत्व’’ अपनाने के मामले में राहुल से सीख ले रही हैं । उन्होंने कहा, ‘‘तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता हिंदुत्व इसलिए अपना रहे हैं, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि हिंदू बीजेपी के तहत एकजुट हो रहे हैं ।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने देश में राजनीति की बदलती प्रकृति का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी 3 जनवरी को दावा किया कि अपने पहले के रवैये के उलट अब विपक्षी पार्टियों के नेता मंदिरों में जा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया, ‘‘देश की राजनीति बदल गई है । आप विपक्षी पार्टियों के नेताओं का इतिहास देखिए । पहले वे एक खास समुदाय के मदरसे में जाते थे, गोल वाली टोपी लगाते थे और इसे धर्मनिरपेक्षता बताते थे । मंदिरों में जाना सांप्रदायिक होता था । अब वे सारे नेता मंदिरों में जा रहे हैं ।’’ गुजरात चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों में जाने की तरफ इशारा करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘वे एक-दो नहीं, 20 मंदिरों में जा रहे हैं । वे खुद को जनेऊ-धारी कह रहे हैं। गुजरात चुनाव से पहले किसी ने राहुल जी को मंदिरों में जाते नहीं देखा था ।’’
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुर्गा विसर्जन रुकवाने का काम करती थीं, लेकिन अब मंदिरों में जा रही हैं। विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘वह गंगासागर में जा रही हैं । संस्कृत श्लोक पढ़ रही हैं ।’’ बीजेपी ने कहा, ‘‘मोदीजी ने देश की राजनीति और नेताओं की सोच बदल दी है ।’’