आप चाहें तो आधार सही मान सकते हैं या फिर गलत, लेकिन अब आप भारत में आधार के बिना नहीं चैन से नहीं रह सकते। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के थिंकटैंक आईडीआरबीटी की एक रिपोर्ट कहती है कि एक आधार से अपनी सारी जानकारी जुड़वाकर चैन से नहीं रहा जा सकता। देश भर के नागरिकों, बैंकों, सरकारी योजनाओं और तमाम तरह की जानकारी एक आधार डेटाबेस में जमा है। ऐसे में कोई दुश्मन देश या कोई हैकर इस एक टार्गेट को हैक करके तबाही मचा सकता है। कुछ दिन पहले अंग्रेजी अखबार ट्रिब्यून ने खुलासा किया था कि महज 500 रुपये में आधार डाटाबेस का लॉगइन पासवर्ड बेचा जा रहा है। इससे अरबों लोगों के नाम, पते, मोबाइल नंबर, फोटो वगैरह आसानी से पता लगाए जा सकते हैं।
यूएआईडीएआई ने इस रिपोर्ट को गलत बताया था और इसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई। यानि एक तरफ आधार नंबर लेना मजबूरी बनता जा रहा है तो दूसरी तरफ इस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। और जब आरबीआई से जुड़ी संस्था चिंता जता रही है तो इस पर बहस तो बनती है।
आधार डाटा लीक होने की खबरों के बीच सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। आधार नंबर को सुरक्षित करने के लिए यूआईडीएआई अब आधार नंबर की जगह वर्चुअल आईडी देगी। इसके लिए यूआईडीएआई को जरूरी निर्देश जारी भी कर दिए गए हैं। वर्चुअल आईडी 16 अंकों की होगी। जो आधार वैरिफिकेशन के वक्त इस्तेमाल में आएगी
आधार नंबर की जगह वर्चुअल आईडी की यह नई व्यवस्था 1 मार्च 2018 से लागू हो जाएगी। जिसे 1 जून 2018 से अनिवार्य किया जायेगा। बता दें कि केवायसी के वक्त वर्चुअल आईडी से वैरिफिकेशन होगा। हालांकि वैरिफिकेशन के वक्त आधार नंबर नहीं देना होगा।जानकारों का मानना है कि वर्चुअल आईडी की इस नई व्यवस्था से आधार नंबर ज्यादा सुरक्षित रहेगा और असली नंबर गलत हाथों में जाने से बचेगा। वर्चुअल आईडी से आधार नंबर देने के बजाय वर्चुअल नंबर देने का विकल्प मिल जायेगा और अलग-अलग वैरिफिकेशन पर अलग अलग वर्चुअल नंबर होगें।
इधर आधार की सुरक्षा को लेकर आरबीआई का थिंक टैंक आईडीआरबीटी ने गंभीर सवाल खड़े किए है। उसने कहा है कि आधार का डाटा, साइबर अपराधियों और दुश्मनों के लिए आसान निशाना हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक आधार को टार्गेट कर बड़ी तबाही लाना आसान होगा। आधार की जानकारी हैक होने पर इकोनॉमी को बड़ा नुकसान संभव है।