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Dastak India > Home > देश > भारत में आधार कार्ड, तो जानिए बाकी देशों में क्या है पहचान का ‘आधार’
देश

भारत में आधार कार्ड, तो जानिए बाकी देशों में क्या है पहचान का ‘आधार’

dastak
Last updated: January 15, 2018 9:20 am
dastak
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UIDAI, Aadhar Card, Lock, Unlock, Off line, online, OTP, Biometrics
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देश में आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर लोग काफी चिंतित हैं, उन्हें यह डर सता रहा है कि इसके जरिए किसी भी नागरिक से जुड़ी सारी जानकारी हासिल की जा सकती है, हालांकि दुनिया के कई अन्य देशों में भी फोटो आधारित पहचान पत्र चलन में है और इसके जरिए सरकार और लोगों के बीच संपर्क बना रहता है। बता दें कि आधार या उसके जैसे आईडी कार्ड के लिए नागरिकों की जो निजी जानकारियां एकत्रित की जाती हैं उसके लीक होने का खतरा भारत में ही नहीं, बल्कि बाकी देशों में भी बना रहा है। आधार कार्ड के इतर दुनिया के कई विकसित देशों में पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस सबसे ज्यादा स्वीकार्य फोटो पहचान पत्र हैं। लेकिन अपने देश का आधार कार्ड इन सब कार्डों से बेहद अलग है। एक नजर डालते हैं, कार्ड की दुनिया पर…

फ्रांस से कार्ड की शुरुआत

पहचान पत्र की परंपरा दुनिया में बहुत पुरानी नहीं है। इससे संबंधित इतिहास की शुरुआत करीब सवा 2 सौ साल पहले हुई थी। 1803-04 में फ्रांस आधुनिक दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने अपने नागरिकों के लिए पहचान पत्र की शुरुआत की। नेपोलियन के समय में भी कार्ड जारी किए गए थे, लेकिन तब इसका मकसद कामकाजी लोगों की हरकतों पर नजर रखना और उन्हें कम मजदूरी देना था। नौकरी के दौरान कर्मचारी को अपना कार्ड नियोक्ता को देना होता था और नौकरी बदले जाने की सूरत में यह कार्ड उनसे ले लेना होता था। लेकिन किसी भी नियोक्ता से यह कार्ड लेना इतना आसान नहीं होता था।

1839 में तुर्की में ओट्टोमन साम्राज्य के सुल्तान महमुद-II ने अपने देश में अन्य यूरोपीय शक्तियों के बढ़ते आक्रमण और हस्तक्षेप को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर आधारित पहचान पत्र जारी किया, जिससे बाहरी लोगों पर अंकुश लगाया जा सके।

दूसरे विश्व युद्ध के शुरुआत में 1938 में इंग्लैंड और जर्मनी ने अपने-अपने नागरिकों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया। 1940 में फ्रांस ने भी इसे अपने यहां लागू किया। जर्मनी और फ्रांस ने कार्ड इसलिए जारी किए ताकि यहूदियों की पहचान आसान हो जाए और उन्हें निशाने पर लिया जा सके। इंग्लैंड ने युद्ध के बाद कार्ड व्यवस्था को खत्म नहीं करने और इसे जारी रखने का ऐलान किया।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान ने चीन से उसके क्षेत्र में आने वाले लोगों की पहचान के लिए पहचान पत्र की शुरुआत की। 1958 में चीन ने हुकोउ रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन की शुरुआत की जिसके जरिए बेसहारा लोगों को जरुरत की चीजें मुहैया कराई जा सके, साथ ही उन पर देश के खिलाफ संभावित आंदोलन पर अंकुश लगाया जा सके। 1960 के दशक में दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पत्र की शुरुआत कर दी।

आज के हालात

आज हालात हदल चुके हैं और दुनिया काफी छोटी हो गई हैं। लेकिन सुरक्षा और अन्य चीजों के लिहाज से पहचान पत्र बेहद जरुरी हो गया है। एक नजर डालते हैं कि आज किस तरह से लोगों की पहचान की जाती है।

ऑस्ट्रेलियाः 1987 और 2007 में ऐसे 2 प्रस्ताव निजी सुरक्षा का हवाला देते हुए रद्द किए जा चुके हैं। यहां ड्राइविंग लाइसेंस, टैक्स फाइल नंबर और मेडीकेयर नंबर को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

रूसः ऐसे नागरिक जिनकी उम्र 14 साल से ऊपर की है और जो लोग रूस में रहना चाहते हैं उन्हें आंतरिक पासपोर्ट बनवाना होता है। इसे 20 और 45 साल की आयु पर नवीनीकरण भी कराना होता है।

चीनः 16 साल के ऊपर के नागरिकों को आवास पहचान पत्र के लिए आवेदन करना जरूरी होता है।

जापानः द माई नंबर लॉ (2013) अपने हर नागरिकों को एक नंबर देता है जिसमें उसकी टैक्स संबंधी, सामाजिक सुरक्षा संबंधी और केंद्र तथा स्थानीय सरकारों की ओर से मिलने वाली आपदा राहत से जुड़ी निजी जानकारियां होती हैं।

इंग्लैंडः आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स एक्ट 2010 के आने के बाद आइडेंटिटी कार्ड एक्ट 2006 को खत्म कर दिया गया था। इस डॉक्यूमेंट्स में ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आयु प्रमाणित कार्ड जैसी जानकारियां होती हैं।

अमेरिकाः देश में कोई राष्ट्रीय कार्ड व्यवस्था नहीं है। पहचान पत्र के रूप में ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, सोशल सिक्यूरिटी कार्ड, स्टेट आईकार्ड, मिलिट्री सीएसी कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है।

फ्रांसः राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पत्र के जरिए पूरे यूरोप और फ्रांस के औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत रहे देशों में घूम सकते हैं, साथ ही इसके जरिए बैंक खाता भी खुलवाया जा सकता है।

जर्मनीः पहचान पत्र या पासपोर्ट दोनों में से एक अनिवार्य है, लेकिन नागरिक इस बात को लेकर स्वतंत्र हैं कि अपने पहचान पत्र में फिंगर प्रिंट शामिल कराएं या नहीं।

ब्राजीलः राष्ट्रीय स्तर पर गैर-जरूरी कार्ड, जिसे आरजी कार्ड कहा जाता है, साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट भी जरूरी है।

TAGGED:Aadhar Cardaustraliachina identify cardFRANCEidentify card of another countryindia identify cardvarious country aadharऑस्ट्रेलियाफ्रांस
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