मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश हो चूका है। लेकिन इस बार मोदी सरकार हर वर्ग के लोगो को खुश नहीं कर पाई है। जिसमे मिडिल वर्ग कर लोग खुश नहीं है। ना टैक्स के मोर्चे पर कोई राहत ना ही बचत बढ़ाने का कोई विकल्प दिया गया और जो एलान किए गए वो जैसे ऊंट के मुंह में जीरा जैसे हैं।
मोदी सरकार का आखिरी पूरा बजट, जैसा कि कहा जा रहा था वैसा ही हुआ। यानि जेटली ने अपनी पोटली से चुनावी बजट पेश किया। 2019 में होने वाले आम चुनावों को ध्यान में रखकर बजट में गांव, गरीब और किसान पर फोकस रखा गया। कुछ बड़े महत्वकांक्षी योजनाओं जैसे गरीबों को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर दी है।
बजट में मिडिल क्लास को बड़ी निराशा हाथ लगी है। टैक्स में छूट की उम्मीद कर रहे सैलरीड क्लास के लिए वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि वित्त मंत्री ने ट्रांसपोर्ट और मेडिकल अलाउंस खत्म करके 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देने का एलान किया है। वरिष्ठ नागरिकों को कुछ राहत देते हुए वित्त मंत्री ने बैंक में जमा राशि पर टैक्स छूट 10 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी है। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर भी टैक्स छूट 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दी है।
वित्त मंत्री ने शेयर बाजार में निवेशकों को बड़ा झटका दिया है। वित्त मंत्री ने शेयर बेचकर 1 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगा दिया है।
आम आदमी के लिए झटका ये भी है कि पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं कम होने वाले। बजट में डीजल और पेट्रोल में एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये की कटौती के बाद लगा अब ये सस्ते होंगे लेकिन सरकार ने फिर सफाई दी कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी तो घटा दिया है लेकिन एक्साइज ड्यूटी को सेस में कन्वर्ट कर दिया है।