सूरजकुण्ड। अगर आप सिल्क के कपडों के शौकिन है तो 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में जरूर पधारें। आपको यहां थीम राज्य उत्तर प्रदेश के सिल्क की बनी साडियां देखने व खरीदने को मिलेंगी।
उत्तर प्रदेश के अपना घर में सिल्क की साडियों को दर्शाया गया है। सिल्क साडी के बुनकर बसीउल हसन ने बताया कि यह सिल्क की साडियां हाथ से तैयार की जाती हैं और एक साडी को तैयार करने में 3 लोगों को 25 दिन का समय लगता है। यदि वे रोजाना 12 घंटे काम करे तो। उन्होंने यह असली जरी की सिल्क साडियां होती हैं।
हसन के अनुसार इन साडियों को तैयार करने के लिए असली जरी का इस्तेमाल किया जाता है। साडियों को तैयार करने की विधि के बारे में जानकारी देते हुए वसीउल हसन ने बताया कि सबसे पहले नटावा पर धागे को बुना जाता है उसके बाद परेटा का उपयोग करते हुए धागे की कास्तकारी की जाती है। उन्होंने बताया कि परेटा के उपयोग के पष्चात चरखा चलाया जाता है और सिल्क को तैयार करने की विधि शुरू होती है इसके पष्चात करघा का उपयोग होता है और सिल्क का कपडा हाथ की बुनाई द्वारा ही तैयार किया जाता है।
सिल्क बुनकर वसीउल हसन ने बताया कि इस प्रकार से तैयार साडी का मूल्य 45 हजार रूपए तक होता है और इस प्रकार की साडियां ज्यादातर बडे-बडे घरानों की महिलाएं और सेलिब्रिटी पहनती हैं। अपना घर में उपस्थित गुरूग्राम से आई हुई मोना शर्मा ने बताया कि वे इन साडियों को बडे ही ध्यान से देख रही हैं और जानकारी ले रही हैं। उनका कहना है कि इन साडियों का स्टफ काफी बेहतर है और यह बडी ही उच्च गुणवत्ता की साडियां हैं। उनके अनुसार वे विषेष आयोजनों में साडी का ही उपयोग करती हैं और उन्हें ये साडियां काफी पसंद आ रही हैं परन्तु इनका दाम उनकी पहुंच से काफी अधिक है।