सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना विवाद मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है। बता दें कि न्यायालय में होने वाली यह सुनवाई काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो। इस पीठ ने गत वर्ष 5 दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह 8 फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी।
5 दिसंबर को मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनावाई के लिए इतनी जल्दी क्यों है? हालांकि विशेष पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और अब इस मामले की सुनवाई में देरी नहीं की जाएगी।
मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले की सुनवाई को आगामी आम चुनाव के बाद तक टालने की अपील की थी। हालांकि कोर्ट ने उनकी इस दलील को खारिज कर दिया था। सिब्बल ने कहा था कि ये कोई साधारण जमीन का मामला नहीं है बल्कि इस मामले का राजनीति के भविष्य पर भी असर पड़ेगा, ऐसे में 2019 के आम चुनाव तक इसकी सुनवाई को टाल देना चाहिए।
राम जन्मभूमि ट्रस्ट, राम लला व अन्य की ओर से हरीश साल्वे और सीएस वैद्यानथन व अन्य पेश हुए थे। साल्वे ने कहा था कि अपील सात साल से लंबित है। इस बात का किसी को नहीं पता कि क्या फैसला होना है। मामले में सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट को इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि बाहर क्या परिस्थितियां है और क्या हो रहा है।
बता दें कि 21 जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने मामले को उठाया था और अयोध्या केस की जल्द सुनवाई किए जाने की अपील की थी। तब चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि हम जल्दी सुनवाई के मुद्दे पर फैसला लेंगे, जिसके बाद इस मामले में 7 अगस्त को एक स्पेशल बेंच का गठन किया गया। बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।