अजय चौधरी
यूनिवर्सिटी स्तर पर छात्रों को प्रदर्शन करते देखा था, लेकिन स्कूल स्तर पर छात्रों का ये आंदोलन जंतर मंतर पर शायद पहली बार ही हो रहा हो। अपनी मांगों को लेकर इन बच्चों को भी पढाई छोडकर सडकों पर उतरना पडेगा ऐसा कभी सोचा नहींं था। इन छात्रों का कहना है कि हम पेपर दोबारा देने को तैयार हैं पर आप पेपर लीक मामले में दोषियों पर कार्यवाही तो कीजिए। छात्रों का कहना है कि अगर पेपर दोबारा से लीक होगा तो कौैन जिम्मेवार होगा क्योंकि आप कार्यवाही तो कर नहीं रहे।
सीबीएसई के चीफ को कौन हटाएगा। कुछ छात्रों का ये भी कहना है कि अगर पेपर दोबारा कराने ही हैं तो सारे विषयों के कराएं जाएं क्योंकि खाली इकोनोमिक और मैथ का ही लीक नहीं हुआ। अब सवाल आता है कि अभी तक एसएससी जैसे सरकारी नौकरी दिलाने वाली परिक्षाओं के पेपर लीक हो रहे थे लेकिन ये जरुरत क्यों आन पडी की पेपरलीक गिरोह अब 12वीं के भी पेपर लीक कराने लगा है।
इसका जवाब है बढता कॉम्पीटिशन और नामी कॉलेज में एडमिशन लेने की चाह। देश में अच्छे कॉलेजों की कमी हो चली है। नामी भी बस नाम के नामी रहे हैं। लेकिन टैग और स्टैण्डर्ड का फायदा तो वहां से पढ़कर निकलने वाले छात्रों को मिल ही जाता है। दिक्कत ये भी है कि देशभर से आए छात्रों को डीयू में ही एडमिशन लेना है वो भी नामी दो-चार कॉलेजों में। और ये तय होता है 12वीं के रिजल्ट से। ऐसे में लाखों बच्चों में से हमारे बच्चों का एडमिशन कैसे हो इस चाह में पैरंंट्स कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हो जाते हैं। नर्सरी के एडमिशन को ही ले लो। नामी स्कूलों में इकोनोमिक वीकर सेक्शन के बच्चों की सीट किस तरह अमीर बच्चे खा जाते हैं।
ऐसे में सीबीएससी का पेपरलीक होने पर हमें अचंभा नहीं होना चाहिए। ये भी हो सकता है कि पेपरलीक पहले से हो रहा हो लेकिन इस बार खुलासा हो गया। मेरा ये मानना है कि किसी भी परीक्षा का पेपर लीक अगर होता है तो वो भीतर के किसी व्यक्ति की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता। ऐसे में जांच होनी चाहिए थी और दोषियों पर कार्यवाही भी। लेकिन बेशर्मों की तरह दोबारा से पेपर कराने की घोषणा कर दी गई। ये भी नहीं सोचा गया कि दिन रात एक कर तैयारी कर परीक्षा देने वाले छात्रों के मनोबल पर इसका क्या प्रभाव पडेगा। वे फिर से तैयारी कर पेपर दे देंगे लेकिन वो जंतर मंतर पर आ आपसे बस दोषियों के खिलाफ कार्यवाही और दोबारा से पेपरलीक न होने की गारंटी मांग रहे हैं। दे पाएंगे?