शैलेश शर्मा
संविधान में गौ रक्षा कानून को निकाल फेक देना चाहिए या उसपे अमल हो लेकिन राज्यों के आधीन ये कानून आंशिक और पूर्ण रूपेण लागू है पर हर एक राज्य अपनी सुविधा के लिए लागू किए हुए है। कुछ भी खाने का संवैधानिक अधिकार के अंतर्गत कुछ मीडिया घराने कूद कूद के नाटक करके ना केवल गाय की श्रद्धा का मजाक उड़ाते है बल्कि विदेशी भाषा के एक्सेंट में मां मिट्टी और जिस संस्कृति में पैदा हुए उसकी मुखालपत करके खिल्ली उड़ाते है। राम रहीम मीर और विवेकानंद की धरती से आंख बंद करके नकल में माहिर भौतिकवादी और भोग विलास की दास्तां कबूल कर चुके कुछ राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी और पत्रकारों ने अपने वजूद को गिरवी रख दिया है।
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गौ रक्षा कानून को संविधान से निकाल के गाय काटने को स्वंतत्र कर दिया जाए या पूरी तरीके से रोक लगाई जाए नहीं तो समाज को इसका खामियाजा भुगतना होगा। गौ तस्करी, मीट माफिया और हवाला का गोरखधंधा कुछ देशों की मिली भगत से चलता रहेगा। ये मीट माफिया AWBI (animal welfare board of India) के अधिकारियों पर हमला करते रहेंगे। कर्नाटक में लगभग 200 लोगों ने एनिमल सेवर को घायल कर दिया क्या यहीं प्रजातंत्र है। गाय में श्रृद्दा रखने वाले लोगों को संदेह होता है तो उन्हें गाय बचाने का हक नहीं है। हां कानून हाथ में लेना गलत है और किसी गरीब के साथ गलत हो सकता है कुछ घटनाओं में गलत हुआ भी है।
हरियाणा के रेवाड़ी में मीट माफियाओं ने पुलिस पर हमला करके घायल कर दिया जिसकी FIR No 192/2017, ओडिसा और अन्य प्रदेशों में लगभग 8 से 10 FIR हुई है जो मीट माफियाओं ने हमले किए और जान से मारने की धमकी दी है। PETA के अधिकारियों को भी धमकी मिलती रहती है क्या इसका कोई समाधान निकलेगा या राजनीति ही होती रहेगी। राज्य सरकारें और केंद्र सरकार को अति संवेदन शील होना पड़ेगा।
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गाय की रक्षा में हिन्दू समाज और संतो को भी क्लीन चिट कभी नहीं दी जा सकती क्योंकि ये सभी अपनी गाय को खुला छोड़ देते है जिससे वो पॉलीथिन खाती है और तड़प तड़प कर मरती है कभी कभी गाय या गाय वंश का एक्सिडेंट हो जाता है लेकिन उसका मालिक कभी खबर नहीं लेता और गाय और गाय वंश तिल तिल कर मरता है। क्या इस दोहरे चरित्र से गाय की रक्षा हो सकती है सिर्फ गाय गाय चिल्लाने से गौ रक्षा नहीं होगी करने से होगी। गाय की रक्षा के लिए मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपना खुला समर्थन किया है और संवेदन शील भी दिखे पर कुछ गलतियां तो हिन्दू समाज को सुधारनी होगी। कुछ गौ शालाओं को भी अपना मुखौटा उतारना होगा वे गौ के नाम पर चंदा उगाही का बिजनेस बंद करना होगा उसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने पड़े तो कोई हिचक ना हो। सभी को सुधरना होगा। गाय की सच में सेवा करनी होगी तभी समाज में चेतना आएगी और दिखावे से बाहर निकलना होगा।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”