16 सितंबर को दिल्ली के आईआईसी सेंटर में पीएसबीटी के ‘ओपन फ्रेम’ प्रदर्शित होने वाली फिल्म “PLEASE MIND THE GAP” समाज के उन मुद्दों को छूती है जिन पर खुलकर चर्चा करना भी एक सभ्य समाज में वर्जित माना जाता है। ये उस वर्ग की कहानी है जिन्हें हमारे समाज का हिस्सा ही नहीं माना जाता।
जानें क्या होते हैं कडवे वचन और जैन मुनि क्यों नहीं पहनते वस्त्र
विश्वभर में मनुष्यों को अधिकतर दो लिंगो में ही विभाजित किया जाता है, वो हैं पुरुष और महिला। लेकिन एलजीबीटी, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय को हमेशा से ही अंधेरे में रखा जाता रहा है। हालांकि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस समुदाय का उत्पीडन करने वाली आईपीसी की धारा 377 को निरस्त कर दिया है। जिससे इस समुदाय में खुलकर जीने और आगे बढने की एक नई आस बंधी है।
भारत में तेजी से बढ रही है ऑनलाइन वीडियो देखने वालों की संख्या- गूगल
फिल्म के निर्देशक मिताली त्रिवेदी और गगनदीप सिंह हमें दिल्ली मेट्रो के उस सफर पर लिए चलते हैं जिसमें एक ट्रांसजेंडर अपनी जिंदगी के बारे में खुलकर बताता है और आए दिन सफर में आने वाली चुनौतीयों और समाज का उसके प्रति नजरिए के बारे में खुलकर चर्चा करता है। त्रिवेदी और सिंह की नजर से मेट्रो का ये सफर आपको जरुर करना चाहिए।
ये है अटल जी और मिसेज कौल के संबधों का सच !
दिल्ली मेट्रो के विभिन्न स्टेशनों से गुजरती हुई ये फिल्म एक चरित्र के माध्यम से लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को ही नहीं लोगों की सोच में पैदा हुए गैप (अंतर) और उनकी सीमितता का भी खुलासा करती चलती है।
नुसरत की विरासत को ऐसे बिगाड रहा है बॉलिवुड
धारा 377 के हटने के बाद जैसे ही इस वर्ग की लोगों के बीच में स्वीकृती बढने की उम्मीद बढी है वैसे ही त्रिवेदी और सिंह की ये शार्ट फिल्म अन्य फिल्म निर्माताओं को भी उन मुद्दों को छूने को प्रोत्साहित करेगी जिन्हें छूना अबतक वर्जित माना जाता रहा है। हमें एक व्यक्ती की नजर से एक समाज के संघर्ष की कहानी जानने के और उनकी मनोस्थिती समझने के लिए ये फिल्म जरुर देखनी चाहिए। ये फिल्म “ओपन फ्रेम फिल्म फेसटिवल” में 16 सितंबर को 2:30 बजे प्रदर्शित की जाएगी।
फिल्म का ट्रेलर नीचे लगाया गया है-
https://www.youtube.com/watch?v=Y4kogOnRRMU&feature=youtu.be
16 सितंबर को दिल्ली के आईआईसी सेंटर में पीएसबीटी के ‘ओपन फ्रेम’ प्रदर्शित होने वाली फिल्म “PLEASE MIND THE GAP” समाज के उन मुद्दों को छूती है जिन पर खुलकर चर्चा करना भी एक सभ्य समाज में वर्जित माना जाता है। ये उस वर्ग की कहानी है जिन्हें हमारे समाज का हिस्सा ही नहीं माना जाता।जानें क्या होते हैं कडवे वचन और जैन मुनि क्यों नहीं पहनते वस्त्रविश्वभर में मनुष्यों को अधिकतर दो लिंगो में ही विभाजित किया जाता है, वो हैं पुरुष और महिला। लेकिन एलजीबीटी, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय को हमेशा से ही अंधेरे में रखा जाता रहा है। हालांकि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस समुदाय का उत्पीडन करने वाली आईपीसी की धारा 377 को निरस्त कर दिया है। जिससे इस समुदाय में खुलकर जीने और आगे बढने की एक नई आस बंधी है।भारत में तेजी से बढ रही है ऑनलाइन वीडियो देखने वालों की संख्या- गूगलफिल्म के निर्देशक मिताली त्रिवेदी और गगनदीप सिंह हमें दिल्ली मेट्रो के उस सफर पर लिए चलते हैं जिसमें एक ट्रांसजेंडर अपनी जिंदगी के बारे में खुलकर बताता है और आए दिन सफर में आने वाली चुनौतीयों और समाज का उसके प्रति नजरिए के बारे में खुलकर चर्चा करता है। त्रिवेदी और सिंह की नजर से मेट्रो का ये सफर आपको जरुर करना चाहिए।ये है अटल जी और मिसेज कौल के संबधों का सच !दिल्ली मेट्रो के विभिन्न स्टेशनों से गुजरती हुई ये फिल्म एक चरित्र के माध्यम से लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को ही नहीं लोगों की सोच में पैदा हुए गैप (अंतर) और उनकी सीमितता का भी खुलासा करती चलती है।नुसरत की विरासत को ऐसे बिगाड रहा है बॉलिवुडधारा 377 के हटने के बाद जैसे ही इस वर्ग की लोगों के बीच में स्वीकृती बढने की उम्मीद बढी है वैसे ही त्रिवेदी और सिंह की ये शार्ट फिल्म अन्य फिल्म निर्माताओं को भी उन मुद्दों को छूने को प्रोत्साहित करेगी जिन्हें छूना अबतक वर्जित माना जाता रहा है। हमें एक व्यक्ती की नजर से एक समाज के संघर्ष की कहानी जानने के और उनकी मनोस्थिती समझने के लिए ये फिल्म जरुर देखनी चाहिए। ये फिल्म “ओपन फ्रेम फिल्म फेसटिवल” में 16 सितंबर को 2:30 बजे प्रदर्शित की जाएगी।फिल्म का ट्रेलर नीचे लगाया गया है-