मी टू एक मूवमेंट है जो 2017 से भारत में चल रहा है। इस मूवमेंट की शुरुआत इसलिए की गई ताकि सभी महिलाएं अपने ऑफिस या किसी भी कार्यस्थल पर होने वाले यौन शोषण के बारे में सोशल मीडिया पर अपने विचारों को खुल कर दुनिया के आगे रख सके। 2017 में कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर आपबीती सबके सामने रखी थी और एक बार फिर से भारत में यह मूवमेंट चल रह है इस बार भी महिलायें अपने साथ हुए यौन शोषण की कहानियां दुनिया के सामने बता रही है।
कैसे मी टू मूवमेंट ने पकड़ी रफ़्तार
इस आन्दोलन के चलते कई जानीमानी हस्तियों की असलियत सामने आ रही है। जबसे अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाया है तबसे पुरे देश ने फिर से मी टू मूवमेंट की रफ़्तार पकड़ ली है। एक एक करके सभी बड़ी हस्तियों के नाम सामने आ रहे है। मी टू मूवमेंट के चलते बॉलीवुड डायरेक्टर साजिद खान पर एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन-तीन महिलाओं ने आरोप लगाये है। इसके बाद तो समझो यौन शोषण करने वाले कलाकारों की लाइन लग गई है। बॉलीवुड के मशहूर गायक कैलाश खेर, अभिजीत, अभिनेता आलोक नाथ, रजत कपूर, विकास बहल जैसी कई फ़िल्मी हस्तियों पर भी आरोप लग चुके है। सिंगर सोना मोहापात्रा ने भी अनु मालिक पर आरोप लगाया था लेकिन अनु मालिक ने न्यूज़18 से बातचीत करते समय सोना के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और साथ ही, कहा उन्होंने कभी भी सोना मोहापात्रा के साथ काम नही किया।
ये तो बात बॉलीवुड जगत की हस्तियों की थी, लेकिन इन मामलों में हमारे देश के विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर भी पीछे नहीं रहे। खबरों के अनुसार, उन पर अब तक सात महिलाये यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है। अकबर पर यह आरोप उस समय के है जब वह किसी न्यूज़पेपर के एडिटर थे। इस समय वह विदेश में है जिस वजह से इन आरोपों पर उनका कोई जवाब नहीं आया है। बताया यह भी जा रहा है कि अकबर पर लगे इन आरोपों के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, द प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने एक कमेटी बनाई है जो फिल्म इंडस्ट्री में वर्कप्लेस पर होने वाले यौन शोषण की जाँच करेगी। साथ ही, अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी अमृता राव ने मी टू मूवमेंट का समर्थन किया और यहाँ तक कि आमिर ने एक आरोपी निर्देशक की फिल्म भी छोड़ दी। साथ ही, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि महिलाये यौन शोषण का शिकार होने के लिए काम पर नहीं जाती है। वे अपने सपने साकार करने और इज्जत के साथ जीने वाली जिंदगी के लिए जाती है और मुझे उम्मीद है कि ये जो महिलाये आवाज उठा रही है उन्हें न्याय जरुर मिलेगा।
वैसे देखा जाये तो देश में हर 5 मिनट में 1 औरत के साथ छेडछाड़ होती है। लेकिन क्या सभी आरोप सही होते है इनकी जाँच करनी चाहिए ताकि सच सबके सामने आये। न्याय की बात तो सब करते है लेकिन गुनहगार अपने गुनाह करके चले जाते है। महिलओं के साथ यौन शोषण आज से नहीं बल्कि कितने समय से चलता आ रहा है लेकिन औरते अपनी इज्जत के हाथों मजबूर होती है और कोई भी कदम नही उठा पाती क्योंकि जिस समाज में वह रहती है वही समाज उन्हें गलत समझता है उन्हें गलत निगाह से देखता है। लेकिन आजतक कोई ऐसा कानून नहीं बनाया गया जिसके चलते यौन शोषण करने वाला व्यक्ति उसकी सजा के बारे में सोचकर ही कांप जाए। पता नहीं कितनी महिलाओं के साथ यौन शोषण हुआ होगा जो मी टू मूवमेंट के चलते भी अपनी आवाज दबाए बैठी है। ऐसी महिलाओं को बिना डरे अपनी आवाज उठानी चाहिए।