हमने अपनी पहली वीडियो में आपको मिलवाया था 2 अक्टूबर के दिन दिल्ली में बैरिकेटर पर ट्रैक्टर चढाकार हीरो बने किसान देवेंद्र पंवार से। हमने उस वीडियो में भी किसानों की समस्याओं की देवेंद्र से बात की थी। लेकिन वो काफी कम थी। किसानों की समस्या पर बात जितनी की जाए सच में वो बहुत कम ही होती है। इसलिए हमने अगली वीडियो बनाने का विचार किया। इसके साथ ही कुछ ओर किसानों से हमने बात की और उनकी समस्या जानने की कोशिश की है।
हमने किसानों से पूछा है कि क्या सिर्फ कर्जमाफी से आपकी समस्या दूर हो जाएगी? किसान समझदार थे, उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। उनका कहना था कि हमारी फसल को उगाने में आई लागत और हमारी फसल का सही दाम मिल जाए तो हमें कर्ज लेने की जरुरत ही नहीं पडेगी। अगर हमारा कर्ज एक बार माफ कर भी दिया गया तो हम फिर से कर्ज लेने को मजबूर होंगे। किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग सरकार के सामने रखी है। जिसे अभी तक माना नहीं गया है।
मिलिए दिल्ली में बैरिकेट्स पर ट्रैक्टर चढाने वाले किसान देवेंद्र पंवार से
हमने अपनी पहली वीडियो में आपको मिलवाया था 2 अक्टूबर के दिन दिल्ली में बैरिकेटर पर ट्रैक्टर चढाकार हीरो बने किसान देवेंद्र पंवार से। हमने उस वीडियो में भी किसानों की समस्याओं की देवेंद्र से बात की थी। लेकिन वो काफी कम थी। किसानों की समस्या पर बात जितनी की जाए सच में वो बहुत कम ही होती है। इसलिए हमने अगली वीडियो बनाने का विचार किया। इसके साथ ही कुछ ओर किसानों से हमने बात की और उनकी समस्या जानने की कोशिश की है।हमने किसानों से पूछा है कि क्या सिर्फ कर्जमाफी से आपकी समस्या दूर हो जाएगी? किसान समझदार थे, उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। उनका कहना था कि हमारी फसल को उगाने में आई लागत और हमारी फसल का सही दाम मिल जाए तो हमें कर्ज लेने की जरुरत ही नहीं पडेगी। अगर हमारा कर्ज एक बार माफ कर भी दिया गया तो हम फिर से कर्ज लेने को मजबूर होंगे। किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग सरकार के सामने रखी है। जिसे अभी तक माना नहीं गया है।उम्मीद करते हैं इस वीडियो के माध्यम से आप किसानों की समस्या काफी हद तक समझ पाएंगे। ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संपन्न किसान हैं। इनके हालात देश के बाकी किसानों जैसे कभी नहीं रहे। लेकिन फिर भी दयनीय हालत में है, आप इनका दु:ख जानिए। जिन किसानों से हमने बातचीत की है उनमें से बहुत से किसान क्रांती यात्रा के दौरान दिल्ली आए थे।किसानों के साथ-साथ हमने मजदूरों की भी समस्या को उठाया है और ये समझाने की कोशिश की है कि कैसे मजदूरों के भी हित किसानों के हित के साथ जुडे हैं। अगर किसानों को सही समय पर उसकी फसल की पेमेंट मिलेगी तो वो सही समय पर मजदूरों को उनकी मजदूरी भी दे पाएगा। यहां किसान और मजदूरों में देश के बाकी हिस्सों से काफी फर्क है। देश के बाकी हिस्सों के मजदूरों को आप किसान कह सकते हैं लेकिन यहां मजदूर- मजदूर ही है और उनसे काम कराने वाला जमींदार नहीं किसान ही है, अगर एक आद अपवाद को छोड दें तो। वीडियो इस आर्टिकल के सबसे ऊपरी हिस्से में लगाई गई है।