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Dastak India > Home > दस्तक स्पेशल > मौत की टाइमिंग और लापरवाही का रावण
दस्तक स्पेशलहोम

मौत की टाइमिंग और लापरवाही का रावण

dastak
Last updated: October 20, 2018 1:10 pm
dastak
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amritsar train accident rawan wife
अमृतसर रेल हादसे में मारे गए रामलीला में रावण बने दलबीर सिंह की पत्नी और आठ माह का बच्चा (ANI Photo)
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अजय चौधरी

लापरवाही से बडी कोई चीज नहीं होती लेकिन मौत की भी टाइमिंग होती है ये हमें अमृतसर हादसे में देखने को मिला। अगर मौत अपनी टाईमिंग न बैठाती तो शायद इतने लोग काल के कपाल में नहीं समाते। आरोप रावण पर लग रहे हैं, रावण तो जल गया, क्या करता बेचारा बम-पटाखों के साथ धूम धडाके से जला। लेकिन लापरवाही के रावण न होते तो इतना बडा हादसा न होता। 50 से ज्यादा लोगों की मौत अमृतसर रेल हादसे में हो गई। पहले जान लेते हैं कैसे बैठी मौत की टाईमिंग और किस-किस स्तर पर लापरवाही हुई।

ये थी मौत की टाईमिंग-

अमृतसर में रावण दहन कार्यक्रम के लिए लोग धोबी घाट के छोटे मैदान से लेकर पास के रेलवे ट्रैक तक फैले थे। हालांकि रेलवे ट्रैक और धोबी घाट के बीच दीवर है लेकिन रावण तो ऊंचा होता है तो लोग रेलवे ट्रैक तक फैले थे। पटरियों पर बैठे थे। ट्रैन की भी टाइमिंग गजब निकली। ठीक उसी समय गुजरी जब फडफडा कर रावण जलने लगा। उस समय ट्रैक पर खडे सब लोगों का ध्यान रावण की और था और मोबाईल में वो इस लम्हे को कैद कर रहे थे। ठीक उसी समय जलांधर-अमृतसर डीएमयू रेलवे फुल स्पीड में ट्रैक से गुजरती है। और लोगों को गाजर-मूली की तरह काट देती है।

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इसके साथ ही हावडा एक्सप्रेस विपरीत दिशा में गई, लेकिन ज्यादा जानें डीईएमयू ने ली। दोनों ट्रेनों की स्पीड उस समय 100 से अधिक थी। रावण का दहन उस समय न हो रहा होता तो शायद बहुत से लोगों को ट्रैक पर ट्रेन आने की आहट हो जाती और वो किनारे लग जाते। लेकिन ट्रेन की टाइमिंग ही ऐसी थी कि पलक झपकते ही सबकुछ हो गया। आसपास खडे लोगों को तो ट्रेन के जाने के बाद ही हादसे का पता चल सका।

लापरवाही का स्तर-

लापरवाही का स्तर तो देखो, रेलवे ट्रैक के नजदीक छोटी सी जगह में रावण दहन का कार्यक्रम होने की अनुमती प्रशासन और पुलिस ने कैसे दे दी। उन्होंने ये कार्यक्रम रुकवाया क्यों नहीं। इसमें विधायक नवजोत सिंह सिद्धु की पत्नी नवजौत कौर सिद्धु की भी लापरवाही भी है। कार्यक्रम में विधायक की पत्नी भी आई थी तो इस कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस- प्रशासन को पता नहीं होगा इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता। फिर उन्होंने ट्रैक पर खडे लोगों की जान की परवाह क्यों नहीं की, या रेलवे को इस कार्यक्रम के बारे में आगाह क्यों नहीं किया।

कम क्यों नहीं थी ट्रेन की स्पीड-

भीडभाड वाले इलाके में रेलवे को वैसे ही ट्रेन की स्पीड कम रखने का आदेश होता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। कहा ये जा रहा है कि रावण दहन के कार्यक्रम और ट्रेक पर लोगों को जमा होने की रेलवे को कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। हो सकता है ये बात सही हो रेलवे को कोई जानकारी दी ही न गई हो लेकिन रेलवे ट्रेनों के सही परिचलन और हादस न हो उसके लिए ट्रेक का इंशपेक्शन करता है। ऐसे में उन्हें वहां बडे-बडे रावण के पुतले दिख जाने चाहिए थे और एतियात के तौर पर ट्रेनों की स्पीड इस जगह पर कम रखने के निर्देश दिए जाने चाहिए थे।

ट्रेक जांचकर्ताओं और फाटककर्मी ने क्यों नहीं दी जानकारी-

जिस जगह रावण दहन का कार्यक्रम हो रहा था वहां से अमृतसर रेलवे स्टेशन केवल दो किलोमीटर दूर था। वहां रेलवे के तमाम बडे अधिकारी होते हैं, लेकिन उन्हें फिर भी रेलवे ट्रेक पर भीड जुटने की जानकारी क्यों नहीं थी। कार्यक्रम स्थल से स्टेशन की दूरी तो 2 किलोमीटर थी लेकिन जहां ये हादसा हुआ ठीक वहीं रेलवे फाटक थी। ट्रेनों के आने की सूचना वहां मौजूद फाटककर्मी को रही होगी तभी तो उसने ट्रेनों की आवाजाही के लिए फाटक बंद कर दी थी। हो सकता है भीड अधिक होने के कारण वो ट्रेनों के गुजरने की जानकारी लोगों को नहीं दे पाया होगा। लेकिन ट्रेक पर लोगों के जमा होने की जानकारी वो अमृतसर स्टेशन स्टाफ को दे सकता था जिससे ट्रेनों को रोका जा सकता था और इस बडे हादसे से बचा जा सकता था।

TAGGED:AmritsarRawantiming of deathअमृतसरमौत की टाइमिंगरावण
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