सरकारी दावों के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या में बढोतरी हुई है। एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हो गया था। सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) के आंकडों के अनुसार 2016-17 में जहां डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या 49.65 प्रतिशत थी वो 2017-18 में बढ़कर अबतक 52.29 प्रतिशत हो चुकी है।
पिछले साल के मुकाबले 55 प्रतिशत कम जले फसलों के अवशेष, फिर क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण !
सरकारी दावों के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या में बढोतरी हुई है। एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हो गया था। सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) के आंकडों के अनुसार 2016-17 में जहां डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या 49.65 प्रतिशत थी वो 2017-18 में बढ़कर अबतक 52.29 प्रतिशत हो चुकी है।लेकिन सीबीडीटी के ही पिछले आंकडो पर गौर करें तो डायरेक्ट टैक्स देने वाले बेतहाशा घटे हैं। 2009-10 में डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या 60.78 प्रतिशत थी और ये संख्या लगातार घटती रही और 2017-18 में 49.65 पर पहुंच गई। ऐसे में जीएसटी लागू होने से डायरेक्ट टैक्सपेयर असल में बढे हैं या नहीं ये जानने में कुछ और साल का वक्त लग सकता है, तभी हम कुछ सही कहने की स्थिती में पहुंच पाएंगे। क्योंकी 2000-1 में ये आंकडा 36.31 प्रतिशत था इसने 2009-10 में 60 प्रतिशत से अधिक का स्तर छुआ उसके बाद से ये लगातार घट ही रहा है। अब भी बढोतरी के बावजूद स्तर 2009 से काफी कम है।