बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह अपने विवादित बयानों को लेकर काफी समय से विवादों में आ गए है। नसीरुद्दीन के समर्थन में अब नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन भी मैदान में उतर आये है। आपको बता दे कि देश में फैली हिंसा पर प्रतिक्रिया देने और गैर सरकारी संगठनों पर सरकार कार्रवाई कर रही है, और इसी कार्रवाई के खिलाफ एमनेस्टी इंडिया के लिए एक वीडियो में आने की वजह से नसीरुद्दीन शाह विवादों में आ गए है।
खबरों के अनुसार, सेन ने कहा कि अभिनेता को परेशान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले एक वीडियो में शाह ने कहा था कि जो अधिकारों की मांग कर रहे हैं, उन्हें कैद किया जा रहा है। हमें अभिनेता को परेशान करने के इस तरह के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। देश में जो कुछ हो रहा है, वह आपत्तिजनक है और इसे जरूर रोका जाना चाहिए।
आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी को वोट न दे- दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल
बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह अपने विवादित बयानों को लेकर काफी समय से विवादों में आ गए है। नसीरुद्दीन के समर्थन में अब नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन भी मैदान में उतर आये है। आपको बता दे कि देश में फैली हिंसा पर प्रतिक्रिया देने और गैर सरकारी संगठनों पर सरकार कार्रवाई कर रही है, और इसी कार्रवाई के खिलाफ एमनेस्टी इंडिया के लिए एक वीडियो में आने की वजह से नसीरुद्दीन शाह विवादों में आ गए है।खबरों के अनुसार, सेन ने कहा कि अभिनेता को परेशान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले एक वीडियो में शाह ने कहा था कि जो अधिकारों की मांग कर रहे हैं, उन्हें कैद किया जा रहा है। हमें अभिनेता को परेशान करने के इस तरह के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। देश में जो कुछ हो रहा है, वह आपत्तिजनक है और इसे जरूर रोका जाना चाहिए।आपको बता दे कि पिछले दिनों नसीरुद्दीन शाह ने एक वीडियो जारी किया था, जिसकी वीडियो हमने आपके साथ सांझा भी की थी। इस वीडियो में वह कह रहे थे, “हमारे आजाद मुल्क का संविधान 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया गया। शुरू के ही सत्रों में उसके उसूल लागू कर दिए गए, जिनका मकसद ये था कि हर नागरिक को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय मिल सके। सोचने की, बोलने की और किसी भी धर्म को मानने की या इबादत करने की आजादी हो। हमारे मुल्क में जो लोग गरीबों के घरों को, जमीनों को और रोजगार को तबाह होने से बचाने की कोशिश करते हैं, करप्शन के खिलाफ आवाज उठाते हैं, ये लोग हमारे उसी संविधान की रखवाली कर रहे होते हैं। लेकिन अब हक के लिए आवाज उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, शायर सबके काम पर रोक लगाई जा रही है। पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है।”
आपको बता दे कि पिछले दिनों नसीरुद्दीन शाह ने एक वीडियो जारी किया था, जिसकी वीडियो हमने आपके साथ सांझा भी की थी। इस वीडियो में वह कह रहे थे, “हमारे आजाद मुल्क का संविधान 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया गया। शुरू के ही सत्रों में उसके उसूल लागू कर दिए गए, जिनका मकसद ये था कि हर नागरिक को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय मिल सके। सोचने की, बोलने की और किसी भी धर्म को मानने की या इबादत करने की आजादी हो। हमारे मुल्क में जो लोग गरीबों के घरों को, जमीनों को और रोजगार को तबाह होने से बचाने की कोशिश करते हैं, करप्शन के खिलाफ आवाज उठाते हैं, ये लोग हमारे उसी संविधान की रखवाली कर रहे होते हैं। लेकिन अब हक के लिए आवाज उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, शायर सबके काम पर रोक लगाई जा रही है। पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है।”
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let's stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019