अजय चौधरी
अगर किसी को मोदी से कष्ट है तो वो भ्रष्ट है, ऐसी परिभाषाएं देश के प्रधानमंत्री खुद गढ़ रहे हैं। लगता है प्रधानमंत्री ने केजरीवाल वाला ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने का काम अपने कंधों पर ले लिया है।
मतलब अगर किसी नगरिक को हमारे देश के प्रधानमंत्री अच्छे नहीं लगते, वो उनकी योजनाओं से सहमत नहीं है, उसके मत भिन्न हैं तो क्या वो भ्रष्ट है? ये कौनसी सरकार है जिसके सारे ही कदम अच्छे होते हैं, सुना था इंसान से गलती हो जाती है, इसमें क्या भगवान बैठे हैं? नहीं, दरअसल आंखे मूंद कर भगवान मान लिया गया है। अच्छे कामों की प्रशंसा के साथ अगर हम गलत कदमों की आलोचना नहीं करेंगे तो वो गलत कदम भी सही ही साबित होगा।
हो ये रहा है कि लोग आलोचनाओं से बचने लगे हैं। क्योकिं ऐसा करने पर उन्हें किसी दूसरी पार्टी का चमचा, पाकिस्तानी या फिर अब तो वो भ्रष्ट भी हो सकता है।
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चुनाव नजदीक है, मुझे राजनीतिक पार्टियों से मतलब नहीं है। ऐसे हमले आपस मे और बढ़ेंगे लेकिन देश के नागरिकों को इसमें घसीट कर वो भी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा सही किया जा रहा है?
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