भारत में बनी पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ का पीएम नरेंद्र मोदी आज उद्घाटन करेंगे। मोदी इस ट्रेन को दिल्ली रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर वाराणसी तक उद्घाटन यात्रा के लिए रवाना करेंगे। देश में सबसे तेज चलने वाली ये ट्रेन अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलती है। जबकि राजधानी और शताब्दी ट्रेनों को 130 किलोमीटर की उच्चतम स्पीड पर चलाया जाता है।
खबरों के अनुसार, ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ की उद्घाटन यात्रा में कोई आम यात्री नहीं बल्कि रेलमंत्री पीयूष गोयल के अलावा रेलवे बोर्ड के सदस्य व अधिकारी तथा मीडियाकर्मी ट्रेन में सफर करेंगे। यात्रियों के लिए वंदे भारत का नियमित संचालन 17 फरवरी से प्रारंभ होगा। नियमित संचालन का समय भी उद्घाटन यात्रा के समय से अलग होगा। जहां नियमित संचालन में नई दिल्ली से ट्रेन का प्रस्थान समय सुबह छह बजे है और ये अपराह्न दो बजे वाराणसी पहुंचाएगी। वहीं उद्घाटन के दिन इसे सुबह लगभग 11 बजे नई दिल्ली स्टेशन से रवाना किया जाएगा। जबकि रात साढ़े नौ बजे के करीब ये वाराणसी पहुंच पाएगी।
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भारत में बनी पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ का पीएम नरेंद्र मोदी आज उद्घाटन करेंगे। मोदी इस ट्रेन को दिल्ली रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर वाराणसी तक उद्घाटन यात्रा के लिए रवाना करेंगे। देश में सबसे तेज चलने वाली ये ट्रेन अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलती है। जबकि राजधानी और शताब्दी ट्रेनों को 130 किलोमीटर की उच्चतम स्पीड पर चलाया जाता है।खबरों के अनुसार, ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ की उद्घाटन यात्रा में कोई आम यात्री नहीं बल्कि रेलमंत्री पीयूष गोयल के अलावा रेलवे बोर्ड के सदस्य व अधिकारी तथा मीडियाकर्मी ट्रेन में सफर करेंगे। यात्रियों के लिए वंदे भारत का नियमित संचालन 17 फरवरी से प्रारंभ होगा। नियमित संचालन का समय भी उद्घाटन यात्रा के समय से अलग होगा। जहां नियमित संचालन में नई दिल्ली से ट्रेन का प्रस्थान समय सुबह छह बजे है और ये अपराह्न दो बजे वाराणसी पहुंचाएगी। वहीं उद्घाटन के दिन इसे सुबह लगभग 11 बजे नई दिल्ली स्टेशन से रवाना किया जाएगा। जबकि रात साढ़े नौ बजे के करीब ये वाराणसी पहुंच पाएगी।बता दे कि ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ को 2018 में तैयार होने के कारण शुरू में ट्रेन-18 नाम दिया गया था। इस ट्रेन में 16 एसी डिब्बे हैं। इनमें दो एक्जीक्यूटिव क्लास के जबकि 14 चेयरकार के हैं। डिब्बों की लंबाई अधिक होने के कारण वंदे भारत में कुल 1128 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है, इतने ही डिब्बों वाली शताब्दी ट्रेन के मुकाबले अधिक है। वंदे भारत में अधिक सीटों का इंतजाम समस्त इलेक्ट्रिक उपकरणों को डिब्बों के नीचे स्थानांतरित किए जाने से संभव हुआ है। इसमें इंजन शामिल है, जो इस कारण बिलकुल मेट्रो जैसा दिखता है। वंदे भारत के दरवाजे भी मेट्रो की तरह ऑटोमैटिक ढंग से खुलते बंद होते हैं।वही, चढ़ने-उतरने के लिए दरवाजों के साथ ऑटोमैटिक पायदान भी दिया गया है। ट्रेन की अन्य सुविधाओं में जीपीएस आधारित ऑडियो विजुअल पैसेंजर इंफारमेशन सिस्टम, ऑनबोर्ड हॉटस्पॉट वाई-फाई, बॉयो वैक्यूम टायलेट, डूअल मोड लाइटिंग तथा सभी सीटों में मोबाइल चार्जिग सॉकेट शामिल हैं। एक्जीक्यूटिव क्लास की सीटें पुशबैक के साथ चारों ओर घूम जाती हैं। चेयरकार की सीटों में भी हल्के पुशबैक की व्यवस्था है। शताब्दी की भांति प्रत्येक कोच में खाना गर्म रखने के लिए छोटी पैंट्री दी गई है।बाहरी शोर से बचाने के लिए ट्रेन को काफी हद तक साउंड प्रूफ बनाया गया है। इस ट्रेन की एक अन्य खास बात इसकी रीजनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली है जिससे 30 प्रतिशत बिजली की बचत होती है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित इस ट्रेन के ऐसे ही सौ और सेट तैयार करने की योजना है।
बता दे कि ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ को 2018 में तैयार होने के कारण शुरू में ट्रेन-18 नाम दिया गया था। इस ट्रेन में 16 एसी डिब्बे हैं। इनमें दो एक्जीक्यूटिव क्लास के जबकि 14 चेयरकार के हैं। डिब्बों की लंबाई अधिक होने के कारण वंदे भारत में कुल 1128 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है, इतने ही डिब्बों वाली शताब्दी ट्रेन के मुकाबले अधिक है। वंदे भारत में अधिक सीटों का इंतजाम समस्त इलेक्ट्रिक उपकरणों को डिब्बों के नीचे स्थानांतरित किए जाने से संभव हुआ है। इसमें इंजन शामिल है, जो इस कारण बिलकुल मेट्रो जैसा दिखता है। वंदे भारत के दरवाजे भी मेट्रो की तरह ऑटोमैटिक ढंग से खुलते बंद होते हैं।
वही, चढ़ने-उतरने के लिए दरवाजों के साथ ऑटोमैटिक पायदान भी दिया गया है। ट्रेन की अन्य सुविधाओं में जीपीएस आधारित ऑडियो विजुअल पैसेंजर इंफारमेशन सिस्टम, ऑनबोर्ड हॉटस्पॉट वाई-फाई, बॉयो वैक्यूम टायलेट, डूअल मोड लाइटिंग तथा सभी सीटों में मोबाइल चार्जिग सॉकेट शामिल हैं। एक्जीक्यूटिव क्लास की सीटें पुशबैक के साथ चारों ओर घूम जाती हैं। चेयरकार की सीटों में भी हल्के पुशबैक की व्यवस्था है। शताब्दी की भांति प्रत्येक कोच में खाना गर्म रखने के लिए छोटी पैंट्री दी गई है।
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