जम्मू-कश्मीर में पुलवामा सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान और जैश-ए-मुहम्मद को जवाब देने की तैयारी में है। इस हमले के बाद अमेरिका समेत कई अन्य देश भारत के साथ खड़े हुए है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बॉल्टन ने कहा कि भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है और इस मामले पर हम भारत के साथ हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बॉल्टन ने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से कहा कि अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। बॉल्टन ने शुक्रवार सुबह जम्मू-कश्मीर में हुए इस आतंकी हमले के बाद डोभाल को फोन कर शोक जताया और कहा कि आतंकवाद का सामना करने के लिए अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।
US National Security Advisor John Bolton supported India's right to self-defence against cross-border terrorism. He offered all assistance to India to bring the perpetrators and backers of the attack promptly to justice. NSA Doval appreciated US support. #PulwamaAttack https://t.co/jYG6KgeDXn
जम्मू-कश्मीर में पुलवामा सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान और जैश-ए-मुहम्मद को जवाब देने की तैयारी में है। इस हमले के बाद अमेरिका समेत कई अन्य देश भारत के साथ खड़े हुए है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बॉल्टन ने कहा कि भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है और इस मामले पर हम भारत के साथ हैं।न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बॉल्टन ने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से कहा कि अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। बॉल्टन ने शुक्रवार सुबह जम्मू-कश्मीर में हुए इस आतंकी हमले के बाद डोभाल को फोन कर शोक जताया और कहा कि आतंकवाद का सामना करने के लिए अमेरिका भारत के साथ खड़ा है।उन्होंने कहा, ‘मैंने अजित डोभाल से कहा है कि हम भारत की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं। मैंने उनसे 2 बार बात की है। आज सुबह भी आतंकी हमले में अमेरिका ने शोक जताया था।’ बॉल्टन ने कहा कि अमेरिका का रुख इस बात पर साफ है कि पाकिस्तान को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में बेहद स्पष्ट है कि हम पाकिस्तान के साथ बातचीत को जारी रखे हुए हैं।अमेरिका ही नहीं दुनिया के कई अन्य बड़े देशों ने आतंकवाद से मुकाबले में भारत के प्रति अपना समर्थन भी व्यक्त किया है और उन्होंने दुख की इस घड़ी में साथ खड़े रहने की बात कही है। दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में शुक्रवार को जी-20 देशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। विदेश सचिव ने 25 देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और इस हमले की जानकारी दी। बैठक में पी-5 देशों, पाक को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देश और अन्य बड़े देशों (जैसे जापान, जर्मनी, रिपब्लिक ऑफ कोरिया) ने हिस्सा लिया।विदेश मंत्रालय की इस बैठक में यूरोपियन यूनियन, कनाडा, ब्रिटेन, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, स्लोवाकिया, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन और भूटान के प्रतिनिधि शामिल हुए। इनके अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नेपाल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।इससे पहले हमले के बाद मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पैलाडिनो ने कहा कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले की अमेरिका कड़े शब्दों में निंदा करता है। पाक स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करें ताकि आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देने से बचा जा सके।
— ANI (@ANI) February 16, 2019
उन्होंने कहा, ‘मैंने अजित डोभाल से कहा है कि हम भारत की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं। मैंने उनसे 2 बार बात की है। आज सुबह भी आतंकी हमले में अमेरिका ने शोक जताया था।’ बॉल्टन ने कहा कि अमेरिका का रुख इस बात पर साफ है कि पाकिस्तान को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में बेहद स्पष्ट है कि हम पाकिस्तान के साथ बातचीत को जारी रखे हुए हैं।
अमेरिका ही नहीं दुनिया के कई अन्य बड़े देशों ने आतंकवाद से मुकाबले में भारत के प्रति अपना समर्थन भी व्यक्त किया है और उन्होंने दुख की इस घड़ी में साथ खड़े रहने की बात कही है। दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में शुक्रवार को जी-20 देशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। विदेश सचिव ने 25 देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और इस हमले की जानकारी दी। बैठक में पी-5 देशों, पाक को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देश और अन्य बड़े देशों (जैसे जापान, जर्मनी, रिपब्लिक ऑफ कोरिया) ने हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय की इस बैठक में यूरोपियन यूनियन, कनाडा, ब्रिटेन, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, स्लोवाकिया, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन और भूटान के प्रतिनिधि शामिल हुए। इनके अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नेपाल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
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