जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के 11 दिन बाद मंगलवार को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर हवाई हमले को अंजाम दिया। इस हमले को अंजाम देने के लिए वायुसेना पिछले 11 दिनों से अपनी रणनीति पर काम कर रही थी। जिसके तहत भारतीय सेना ने मिराज 2000 से आतंकी कैंपों पर गिराए गए 1000KG के 6 बम। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आइए जानते हैं कि इस रणनीति को कैसे अंजाम तक पहुंचाया गया।
15 फरवरी : वायुसेना प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोवा ने सरकार के सामने हवाई हमले का प्रस्ताव रखा, सरकार ने मंजूरी दी।
16-20 फरवरी : वायुसेना और सेना ने नियंत्रण रेखा पर हेरोन ड्रोंस के साथ एयरबोर्न सर्विलांस को आजमाया।
20-22 फरवरी : वायुसेना और खुफिया एजेंसियों ने हमले में निशाना बनाने के लिए संभावित स्थानों का खाका खींचा।
21 फरवरी : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के सामने हवाई हमले के लिए विकल्पों को रखा गया।
22 फरवरी : एयर स्ट्राइक मिशन के लिए मिराज लड़ाकू विमान की 1-स्क्वाड्रन ‘टाइगर्स’ और 7 स्क्वाड्रन ‘बैटल एक्सेस’ को सक्रिय किया गया।
24 फरवरी : मध्य भारत में ट्रायल किया गया, इसमें बठिंडा के अर्ली वार्निग जेट और आगरा के हवा में ईधन भरने में सक्षम विमान भी शामिल हुए।
25-26 फरवरी की रात : ऑपरेशन शुरू, लेजर गाइडेड बम से लैस 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरी।
खबरों की माने तो, बठिंडा से एक अर्ली वार्निग जेट और आगरा से हवा में ईधन भरने में सक्षम एक जेट ने भी उड़ान भरी, इसके अलावा एक हेरोन सर्विलांस ड्रोन की भी मदद ली गई। हमले से पहले मिराज के पायलटों ने लक्ष्यों को आखिरी बार परखा और फिर हमले को अंजाम देने की स्वीकृति मिली।
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