जम्मू कश्मीर में पुलवामा अटैक के बाद केंद्र सरकार आतंक के खिलाफ निर्णायक फैसले लेने में जुटी है। गृह मंत्रालय के सूत्रों से जानकारी मिली है कि कि जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था।
न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, कश्मीर के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने ही खड़ा किया है। हिज्बुल मुजाहिदीन को इस संगठन ने हर तरह की सहायता की। गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकियों को ट्रेंड करना, उनको फंडिंग देना, उनको शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया कराना आदि काम जमात-ए-इस्लामी संगठन कर रहा था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Govt of India Sources: Jamaat-e-Islami (J&K), which has been banned, is the main organisation responsible for propagation of separatist and radical ideology in Kashmir valley. This organisation has nothing to do with Jamaat-e-Islami.
जम्मू कश्मीर में पुलवामा अटैक के बाद केंद्र सरकार आतंक के खिलाफ निर्णायक फैसले लेने में जुटी है। गृह मंत्रालय के सूत्रों से जानकारी मिली है कि कि जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था।न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, कश्मीर के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने ही खड़ा किया है। हिज्बुल मुजाहिदीन को इस संगठन ने हर तरह की सहायता की। गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकियों को ट्रेंड करना, उनको फंडिंग देना, उनको शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया कराना आदि काम जमात-ए-इस्लामी संगठन कर रहा था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है।आपको बता दे कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा एवं आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। वर्ष 1953 में जमात-ए-इस्लामी ने अपना अलग संविधान भी बना लिया था।वही, खबरों की माने तो, हिज्बुल मुजाहिदीन को पाकिस्तान का संरक्षण हासिल है। वो पाक द्वारा उपलब्ध कराए गए हथियारों और प्रशिक्षण के बल पर कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता है। इस काम के लिए जमात-ए-इस्लामी बहुत हद तक जिम्मेदार है। हिज्बुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन जम्मू कश्मीर राज्य के पाकिस्तान में विलय का समर्थक है। सैयद सलाहुद्दीन अभी पाकिस्तान में छुपा है। वो कई आतंकवादी संगठनों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी अध्यक्ष है।जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में कान करता है। ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है। उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर हमेशा लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करवाने और विधि द्वारा स्थापित सरकार को हटाने का समर्थक है। वो भारत से अलग धर्म पर आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए प्रयास कर रहा है।खबरों के अनुसार, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस एक अलगाववादी और उग्रवादी विचारधाराओं के संगठन का गठबंधन है, जो पाक प्रायोजित हिंसक आतंकवाद को वैचारिक समर्थन प्रदान करता है। उसकी स्थापना के पीछे भी जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ रहा है। इस संगठन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने पाकिस्तान के समर्थन से स्थापित किया है।इतना ही नहीं, जमात-ए-इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के नाम पर फंड जमा करता है। उस फंड का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी अलगाववादी गतिविधियों के लिए करता है। जमात-ए-इस्लामी सक्रिय रुप से हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करता है। जम्मू कश्मीर के युवाओं विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं का ब्रेनवाश करके उन्हें भारत के खिलाफ भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता है।बता दे कि इससे पहले भी दो बार जमात-ए-इस्लामी संगठन की गतिविधियों के कारण इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। पहली बार जम्मू कश्मीर सरकार ने इस संगठन को 1975 में 2 वर्षों के लिए बैन किया था। जबकि दूसरी बार केंद्र सरकार ने 1990 में इसे बैन किया था। वो बैन दिसंबर 1993 तक जारी रहा था।
— ANI (@ANI) March 1, 2019
Govt of India Sources: Jamaat-e-Islami (J&K) is responsible for formation of Hizbul Mujahideen, the biggest terrorist org active in J&K. JeI (J&K) has been providing support to HM in terms of recruits, funding, logistics, etc. In a way, HM is a militant wing of JeI (J&K).
— ANI (@ANI) March 1, 2019
आपको बता दे कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा एवं आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। वर्ष 1953 में जमात-ए-इस्लामी ने अपना अलग संविधान भी बना लिया था।
वही, खबरों की माने तो, हिज्बुल मुजाहिदीन को पाकिस्तान का संरक्षण हासिल है। वो पाक द्वारा उपलब्ध कराए गए हथियारों और प्रशिक्षण के बल पर कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता है। इस काम के लिए जमात-ए-इस्लामी बहुत हद तक जिम्मेदार है। हिज्बुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन जम्मू कश्मीर राज्य के पाकिस्तान में विलय का समर्थक है। सैयद सलाहुद्दीन अभी पाकिस्तान में छुपा है। वो कई आतंकवादी संगठनों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी अध्यक्ष है।
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जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में कान करता है। ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है। उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर हमेशा लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करवाने और विधि द्वारा स्थापित सरकार को हटाने का समर्थक है। वो भारत से अलग धर्म पर आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए प्रयास कर रहा है।
खबरों के अनुसार, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस एक अलगाववादी और उग्रवादी विचारधाराओं के संगठन का गठबंधन है, जो पाक प्रायोजित हिंसक आतंकवाद को वैचारिक समर्थन प्रदान करता है। उसकी स्थापना के पीछे भी जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ रहा है। इस संगठन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने पाकिस्तान के समर्थन से स्थापित किया है।
इतना ही नहीं, जमात-ए-इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के नाम पर फंड जमा करता है। उस फंड का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी अलगाववादी गतिविधियों के लिए करता है। जमात-ए-इस्लामी सक्रिय रुप से हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करता है। जम्मू कश्मीर के युवाओं विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं का ब्रेनवाश करके उन्हें भारत के खिलाफ भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता है।
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