चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। चीफ जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट की ही पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस मामले में अवकाश वाले दिन शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच बैठी थी। आज इस मामले में दोबारा फिर सुनवाई हो रही है।
बता दें कि शनिवार को सुनवाई वाले दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा था कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत हो सकती है जो सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं, लेकिन न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए।’
जाने क्या है पूरा मामला
19 अप्रैलः आरोप लगाने वाली महिला ने हलफनामे की कॉपी 22 जजों को भेजी थी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के हलफनामे की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजी गई थी। महिला ने अपने हलफनामे में कथित छेड़छाड़ की दो घटनाओं का जिक्र किया है।
20 अप्रैलः मामला सार्वजनिक होने पर अवकाश के दिन हुई सुनवाई।
शनिवार को मामला सार्वाजनिक होने पर अवकाश वाले दिन चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष पीठ गठित की गई। सुनवाई के दौरान इन आरोपों पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके पीछे कोई न कोई बहुत बड़ी ताकत होगी जो सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं।
20 अप्रैलः सुप्रीम कोर्ट के वकील के दावे से मची सनसनी।
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव बैंस ने दावा किया कि ‘मेरे पास CJI को बदनाम करने का ऑफर आया था।’ जिसके बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया। वकील उत्सव बैंस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था कि उन्हें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की ऐसी जबरदस्त कहानी गढ़ने का ऑफर आया था, जिससे सीजेआई को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़े। फेसबुक पर लिखे गए इस पोस्ट में उत्सव ने दावा किया कि फिक्सरों की मांग ठुकराने के बाद उन्होंने ये पूरा मामला चीफ जस्टिस को बताने का प्रयास किया, इसके लिए वह चीफ जस्टिस के आवास पर भी गए, लेकिन वह उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थे। बैंस को सीजेआई की तरफदारी करने पर नोटिस भी जारी किया गया था। इस खुलासे के बाद बैंस मामले की अहम कड़ी हो गए हैं।
21 अप्रैल: जटेली ने ब्लॉग पर लिखा- यह समय न्यायपालिका के साथ खड़े होने का है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के खिलाफ अपुष्ट आरोपों का समर्थन कर मुख्य न्यायाधीश की संस्था को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले ऐसे लोग हैं जिनका काम रुकावटें खड़ी करना है। उन्होंने ऐसे लोगों को ‘संस्थागत अवरोधक’ बताया और कहा कि देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के खिलाफ जो लोग झूठ फैला रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप के एक दिन बाद जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘यह समय न्यायपालिका के साथ खड़े होने का है। एक असंतुष्ट व्यक्ति के पूरी तरह से अपुष्ट आरोपों का समर्थन करना मुख्य न्यायाधीश की संस्था को अस्थिर करने की प्रक्रिया का मदद करना है।’ इस मामले में जेटली ने अपने ब्लॉग के जरिए कांग्रेस पर भी हमला किया था।
22 अप्रैलः इस सप्ताह नहीं बैठेगी पांच जजों वाली संविधान पीठ।
सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर सूचना जारी की गई कि इस सप्ताह पांच जजों वाली संविधान पीठ नहीं बैठेगी। यह पीठ भूमि अधिग्रहण जैसे कई महत्त्वपूर्ण मामलों में मंगलवार से सुनवाई करने वाली थी। सूचना के मुताबिक, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में होने वाली सुनवाई को भी रद्द कर दिया गया है।
पीएम मोदी बोले- साल में एक-दो कुर्ते और बंगाली मिठाई भेजती हैं ममता बनर्जी
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। चीफ जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट की ही पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस मामले में अवकाश वाले दिन शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच बैठी थी। आज इस मामले में दोबारा फिर सुनवाई हो रही है।बता दें कि शनिवार को सुनवाई वाले दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा था कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत हो सकती है जो सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं, लेकिन न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए।’जाने क्या है पूरा मामला 19 अप्रैलः आरोप लगाने वाली महिला ने हलफनामे की कॉपी 22 जजों को भेजी थी।सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के हलफनामे की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजी गई थी। महिला ने अपने हलफनामे में कथित छेड़छाड़ की दो घटनाओं का जिक्र किया है।20 अप्रैलः मामला सार्वजनिक होने पर अवकाश के दिन हुई सुनवाई।शनिवार को मामला सार्वाजनिक होने पर अवकाश वाले दिन चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष पीठ गठित की गई। सुनवाई के दौरान इन आरोपों पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसके पीछे कोई न कोई बहुत बड़ी ताकत होगी जो सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं।20 अप्रैलः सुप्रीम कोर्ट के वकील के दावे से मची सनसनी।इसी दिन सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव बैंस ने दावा किया कि ‘मेरे पास CJI को बदनाम करने का ऑफर आया था।’ जिसके बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया। वकील उत्सव बैंस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था कि उन्हें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की ऐसी जबरदस्त कहानी गढ़ने का ऑफर आया था, जिससे सीजेआई को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़े। फेसबुक पर लिखे गए इस पोस्ट में उत्सव ने दावा किया कि फिक्सरों की मांग ठुकराने के बाद उन्होंने ये पूरा मामला चीफ जस्टिस को बताने का प्रयास किया, इसके लिए वह चीफ जस्टिस के आवास पर भी गए, लेकिन वह उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थे। बैंस को सीजेआई की तरफदारी करने पर नोटिस भी जारी किया गया था। इस खुलासे के बाद बैंस मामले की अहम कड़ी हो गए हैं।21 अप्रैल: जटेली ने ब्लॉग पर लिखा- यह समय न्यायपालिका के साथ खड़े होने का है।वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के खिलाफ अपुष्ट आरोपों का समर्थन कर मुख्य न्यायाधीश की संस्था को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले ऐसे लोग हैं जिनका काम रुकावटें खड़ी करना है। उन्होंने ऐसे लोगों को ‘संस्थागत अवरोधक’ बताया और कहा कि देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के खिलाफ जो लोग झूठ फैला रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप के एक दिन बाद जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘यह समय न्यायपालिका के साथ खड़े होने का है। एक असंतुष्ट व्यक्ति के पूरी तरह से अपुष्ट आरोपों का समर्थन करना मुख्य न्यायाधीश की संस्था को अस्थिर करने की प्रक्रिया का मदद करना है।’ इस मामले में जेटली ने अपने ब्लॉग के जरिए कांग्रेस पर भी हमला किया था।22 अप्रैलः इस सप्ताह नहीं बैठेगी पांच जजों वाली संविधान पीठ।सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर सूचना जारी की गई कि इस सप्ताह पांच जजों वाली संविधान पीठ नहीं बैठेगी। यह पीठ भूमि अधिग्रहण जैसे कई महत्त्वपूर्ण मामलों में मंगलवार से सुनवाई करने वाली थी। सूचना के मुताबिक, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में होने वाली सुनवाई को भी रद्द कर दिया गया है।बता दें कि चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कई मामलों की सुनवाई करने वाली थी, जिसमें सांसदों को सदन में मतदान के बदले रिश्वत स्वीकार करने के मामलों में मुकदमे से छूट भी हासिल है।23 अप्रैलः जांच के लिए नियुक्त किए गए जस्टिस एमए बोबडे।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश (नंबर-2) न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया। जस्टिस बोबडे ने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एनवी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। उन्होंने कहा, ‘मैंने समिति में न्यायमूर्ति रमन को शामिल करने का फैसला किया है, क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं।’24 अप्रैलः बैंस ने सीलबंद लिफाफे में सीसीटीवी फुटेज सौंपी दी है।इस मामले में सुनवाई जारी है। बुधवार को कोर्ट में वकील उत्सव बैंस ने सीलबंद लिफाफे में सीसीटीवी फुटेज सौंपी। उन्होंने बेंच से कहा कि इस साजिश के पीछे देश के बड़े कॉरपोरेट्स का हाथ हो सकता है। उत्सव बैंस ने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। कोर्ट ने कहा कि वकील द्वारा उठाया गया यह मुद्दा गंभीर है कि बर्खास्त किए कर्मचारियों ने CJI के खिलाफ साजिश रची है। इसलिए बैंस इस संबंध में गुरुवार तक एक और हलफनामा दाखिल करेंगे।बता दें कि तीन जजों की बेंच बैंस के हलफनामे और अन्य सपोर्टिंग मटीरियल्स एविडेन्स पर आपस में विचार-विमर्श कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी पड़ताल करने का फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह कथित साजिश और सनसनीखेज दावों की जड़ तक जाएगा।
बता दें कि चीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कई मामलों की सुनवाई करने वाली थी, जिसमें सांसदों को सदन में मतदान के बदले रिश्वत स्वीकार करने के मामलों में मुकदमे से छूट भी हासिल है।
23 अप्रैलः जांच के लिए नियुक्त किए गए जस्टिस एमए बोबडे।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश (नंबर-2) न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया। जस्टिस बोबडे ने सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एनवी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। उन्होंने कहा, ‘मैंने समिति में न्यायमूर्ति रमन को शामिल करने का फैसला किया है, क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं।’
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