अजय चौधरी

तेज बहादुर यादव अब से नहीं काफी दिनों से बनारस में कुछ पूर्व सैनिकों के साथ हैं और मोदी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके थे। बीएसएफ में खराब खाने की शिकायत का लाइव वीडियो शेयर करने वाले इस जवान में अबतक किसी को कमियां नहीं दिखती थी। क्योकिं ये जवान मीडिया की सुर्खियों से दूर था और न ही बनारस से पीएम को चुनौतीपूर्ण मुकाबला देने की स्तिथि में था।
लेकिन सपा से तेजबहादुर को कैंडिडेट घोषित करते ही उसमें कमियों के अंबार लग गए और एक दिन में ही सोशल मीडिया इन कमियों से भर गया। एक खबर में बताया जा रहा है कि तेजबहादुर के 500 पाकिस्तानी दोस्त हैं फेसबुक पर। तो क्या ये मान लिया जाए सभी फेसबुक फ्रेंड असल जिंदगी में भी दोस्त होते हैं। हम में से बहुत सो की आईडी में पाकिस्तान से दोस्त जुड़े हैं। तो क्या ये सब भी पाकिस्तान का प्रोपोगंडा है? अगर नहीं तो तेजबहादुर यादव के खिलाफ ऐसी खबर करने को ही पत्रकारिता मान लिया जाए? किसी राजनीतिक पार्टी के डर का प्रोपोगैंडा न माना जाए?
एक खबर ये भी है कि तेज बहादुर यादव को बीएसएफ में दुर्व्यवहार और नशे में पाए जाने पर निकाला गया। लेकिन ये सब तेज बहादुर के खाने में शिकायत करने के बाद हुआ। उससे पहले क्यों कभी तेजबहादुर का व्यवहार खराब हुआ? क्या तेज बहादुर यादव का जारी किया गया वीडियो झूठा था? इसपर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं होता।
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