भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार आसमान छू रहे है। वही, महंगाई की मार से जूझ रहे ईरान की कमाई का सबसे अहम जरिया तेल है। ईरान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के इरादें से ट्रम्प प्रशासन यानी अमेरिका सरकार ने ईरान की कमाई के इस साधन को खत्म करने का फैसला कर लिया है, ताकि ईरान से तेल खरीदने वाले अन्य देशों से तेल खरीदे।
क्योंकि ईरान से तेल ख़रीदने वाले देशों को अमरीकी प्रतिबंधों से मिली छूट गुरुवार से ख़त्म हो गई है। इसका मतलब है कि अब वो ईरान से तेल नहीं खरीद पाएंगे। ऐसे में भारत पर बुरा असर पड़ सकता है और तेल कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
भारत और चीन, ईरान के सबसे बड़े तेल ग्राहक है। साथ ही, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी ईरान से तेल खरीदना जारी रखते है तो उन्हें इसके दण्डित किया जाएगा। अमेरिका ने अपने मध्यपूर्व में अपने सबसे विरोधी देश ईरान पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
इस फैसले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पौपेयो का कहना है, ‘अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधो को लागू करने से पहले ईरान सालाना 50 अरब डॉलर कमाता था। हमारे आंकलन के मुताबिक़, ईरान पर लगाये गए प्रतिबंधों की वजह से अब उसे 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। ईरानी सरकार इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादियों को फंडिंग में करती थी और संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाती।‘
वही, अमेरिका के इस फैसले से चीन और तुर्की ने अपना विरोध भी जाहिर किया है। इस फैसले के विरोधी देशों का कहना है कि अमेरिका ने बिना किसी की सलाह लिए ये फैसला लिया है और इस फैसले को मानना इतना आसान नहीं होगा।
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भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार आसमान छू रहे है। वही, महंगाई की मार से जूझ रहे ईरान की कमाई का सबसे अहम जरिया तेल है। ईरान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के इरादें से ट्रम्प प्रशासन यानी अमेरिका सरकार ने ईरान की कमाई के इस साधन को खत्म करने का फैसला कर लिया है, ताकि ईरान से तेल खरीदने वाले अन्य देशों से तेल खरीदे।क्योंकि ईरान से तेल ख़रीदने वाले देशों को अमरीकी प्रतिबंधों से मिली छूट गुरुवार से ख़त्म हो गई है। इसका मतलब है कि अब वो ईरान से तेल नहीं खरीद पाएंगे। ऐसे में भारत पर बुरा असर पड़ सकता है और तेल कीमतें भी बढ़ सकती हैं।भारत और चीन, ईरान के सबसे बड़े तेल ग्राहक है। साथ ही, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी ईरान से तेल खरीदना जारी रखते है तो उन्हें इसके दण्डित किया जाएगा। अमेरिका ने अपने मध्यपूर्व में अपने सबसे विरोधी देश ईरान पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।इस फैसले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पौपेयो का कहना है, ‘अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधो को लागू करने से पहले ईरान सालाना 50 अरब डॉलर कमाता था। हमारे आंकलन के मुताबिक़, ईरान पर लगाये गए प्रतिबंधों की वजह से अब उसे 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। ईरानी सरकार इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादियों को फंडिंग में करती थी और संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाती।‘वही, अमेरिका के इस फैसले से चीन और तुर्की ने अपना विरोध भी जाहिर किया है। इस फैसले के विरोधी देशों का कहना है कि अमेरिका ने बिना किसी की सलाह लिए ये फैसला लिया है और इस फैसले को मानना इतना आसान नहीं होगा।लेकिन इस फैसले से सऊदी अरब को बहुत फायदा होने वाला है और सऊदी अरब ने इस फैसले का स्वागत भी किया है। मानवाधिकार के मामले में खराब ट्रैक होने और पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प सऊदी अरब से अपना दोस्ताना निभा रहा है।इतना ही नहीं, डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा था कि सऊदी अरब और अन्य ऑप्टिक देश इस फैसले से ऊपजी तेल की कमी को पूरा कर देंगे। लेकिन तेल की कमी होने के कारण इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका है, जिससे दुनिया की आर्थिक सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। वैसे भी फैसले के बाद तेल की कीमते 6 महीने के अंदर-अंदर अपने उच्चतम स्तर पर पंहुच चुकी है।
लेकिन इस फैसले से सऊदी अरब को बहुत फायदा होने वाला है और सऊदी अरब ने इस फैसले का स्वागत भी किया है। मानवाधिकार के मामले में खराब ट्रैक होने और पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प सऊदी अरब से अपना दोस्ताना निभा रहा है।
इतना ही नहीं, डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा था कि सऊदी अरब और अन्य ऑप्टिक देश इस फैसले से ऊपजी तेल की कमी को पूरा कर देंगे। लेकिन तेल की कमी होने के कारण इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका है, जिससे दुनिया की आर्थिक सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। वैसे भी फैसले के बाद तेल की कीमते 6 महीने के अंदर-अंदर अपने उच्चतम स्तर पर पंहुच चुकी है।
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