जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पिछले साल एक मासूम बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी थी, जिसका फैसला आज यानी सोमवार को सुनाया गया है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस की 15 पन्नों की चार्जशीट के आधार पर ग्राम प्रधान समेत 8 लोगों पर आरोप तय हुए।
8 साल की बच्ची को अगवा करने के बाद एक मंदिर में बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार किया गया था, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा था और लोगों में जमकर गुस्सा फूटा था। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताते है मामले में अब तक क्या हुआ…
10 जनवरी 2018- पुलिस की चार्जशीट मुताबिक, घोड़ा चरा रही 8 साल की बच्ची को 10 जनवरी 2018 को अगवा कर उसे मंदिर में बंधक रखा गया था। अगवा करने के बाद उसके साथ गैंगरेप किया और बाद में हत्या कर दी गई थी।
16 जनवरी 2018- इसके बाद कठुआ में वकीलों के समर्थन में ‘हिंदू एकता मंच’ नाम के एक संगठन ने रैली निकाली। इस रैली में बीजेपी के स्थानीय विधायक राजीव जसरोटिया और दूसरे नेता भी शामिल थे।
17 जनवरी 2018- वहीं, 15 पन्नों की चार्जशीट के मुताबिक, उस मासूम बच्ची की 14 जनवरी को हत्या कर दी गई थी और 17 जनवरी को उसका शव मिला था। उसे नशे की हालत में मंदिर के देवीस्थान में रखा गया था और बार-बार उसका रेप किया गया था, फिर उसकी हत्या कर दी गई थी।
चार्जशीट सामने आने के बाद पूरे इलाके तनाव बढ़ गया था। कुछ वकीलों ने चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। यहां तक कि चार्जशीट दाखिल करने पहुंची क्राइम ब्रांच टीम को भी वकीलों के समूह ने रोकने की कोशिश की थी।
4 मार्च 2018- इस मामले में बीजेपी के दो मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार लोगों के समर्थन में ‘हिंदू एकता मंच’ की रैली में भाग लिया।
5 अप्रैल 2018- इसके बाद इस मामले में कथित आरोपी सांजी राम ने खुद को पुलिस को सरेंडर कर दिया।
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13 अप्रैल 2018- बीजेपी के दो मंत्री लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा से पार्टी ने इस्तीफ़ा मांगा।
16 अप्रैल 2018- सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर सरकार से इस बात का जवाब मांगा कि पीड़िता के परिवारवालों ने मामले के ट्रायल को राज्य से बाहर कराए जाने की मांग की है।
18 अप्रैल 2018- इस मामले की पहली सुनवाई में क्राइम ब्रांच से कहा गया कि सभी आरोपियों को आरोप-पत्र की कॉपी दी जाए।
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मई 2018– सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में इस मामले को पठानकोट ट्रांसफर कर दिया था क्योंकि जम्मू कश्मीर सरकार और कुछ वकीलों ने कठुआ में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की आशंका जताते हुए उसे स्थानांतरित करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पठानकोट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को बिना किसी स्थगन के रोजाना बंद कमरे में सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
जून 2018- इस महीने के पहले हफ्ते में कठुआ से करीब 30 किमी दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में रोजाना कैमरे की निगरानी में मामले की सुनवाई शुरू हुई। वही, इसी महीने में 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए थे।
नवंबर 2018- पठानकोट के सेशन जज तेजविंदर सिंह ने गवाह अजय कुमार उर्फ अज्जू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसके खिलाफ झूठी गवाही का आरोप था।
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3 जून 2019- इस मामले का ट्रायल पूरा हो गया था। सेशन जज तेजविंदर सिंह ने फैसला सुनाने की तारीख 10 जून बताई थी।
कौन-कौन आरोपी
इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता, प्रवेश कुमार के अलावा दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को दोषी ठहराया गया हैं। वहीं, विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
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