अजय चौधरी
मुझे बाकियों की तरह ये बिलकुल नहीं लगता कि केजरीवाल ने धारा 370 के फैसले पर केंद्र सरकार का समर्थन कर कुछ गलत किया है। इसको गलत कहने के पीछे लोगों का ये तर्क है कि केजरीवाल खुद एक ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री है जोकि एक केंद्र शासित प्रदेश है। वो दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लंबे समय से। तो फिर क्यों वो कश्मीर से धारा 370 हटाकर वहां दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले पर खुश हैं।
बात ये है कि इस फैसले से लगभग हर व्यक्ति खुश है, जनता इसे देश का फैसला मान रही है और कश्मीर समस्या का हल भी। तो फिर कैसे केजरीवाल इस फैसले यानी कि जनता के खिलाफ जा सकते हैं? केजरीवाल ये बखूबी जानते हैं कि केंद्र में जो लोग मोदी को वोट देते हैं उन्हीं में से कुछ विधानसभा के उनके भी वोटर हैं। अब फैसला इतना बडा है कि अगर केजरीवाल इसका विरोध करें तो देश के खिलाफ भी कहे जा सकते हैं, बिजली जो फ्री करने का फैसला लिया है वो सारी मेहनत भी मिट्टी में मिलने का डर है।
कश्मीर के लिए जान भी देनी पड़े तो दे देंगे- अमित शाह
यही डर कांग्रेस का है जिसका क्लीन स्वीप दिल्ली विधानसभा चुनावों में होना तय है। लेकिन केजरीवाल इस फैसला समर्थन कर अपनी कुछ राजनीति बचाए रखने में कामयाब हुए हैं। बाकि अब फिर से दिल्ली विधानसभा की 67 सीटें जीतने वाला करिश्मा शायद ही दोहरा पाएंगे। केजरीवाल फिर से मुख्यमंत्री बन पाए अब ये भी मुश्किल नजर आ रहा है। क्योंकि इन विधानसभा चुनावों में इस बार लोकसभा की तरह स्थानीय मुद्दे हावी न होकर राष्ट्रीय और देशहित के कहे जाने वाले मुद्दे ही हावी होंगे। जिसका फायदा बीजेपी को ही मिलता आ रहा है और मिलता ही रहेगा। क्योंकि वो समझ चुकी है कि देशभक्ती से बडा मुद्दा और कुछ हो नहीं सकता। और दूसरा अपने मेनिफेस्टो में किए वादें भी पूरा किया है। जिससे जनता में उसका विश्वास बढ़ा है और उन्हें लग रहा है कि अब राम-मंदिर बनना भी दूर नहीं है। तो केजरीवाल समर्थन न करते तो क्या करते?
We support the govt on its decisions on J & K. We hope this will bring peace and development in the state.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 5, 2019