पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया ताकि गंदगी और खुले में शौच करने से मुक्ति मिल सकें। लेकिन इस अभियान का ज्यादातर लाभ महिलाओं को ही मिला है। लेकिन अभी भी कई राज्यों में ऐसे पुरुष है जो खुले में शौच करना पसंद करते है। बता दे इस अभियान की लॉन्चिंग के करीब पांच साल बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भारत के शहरी इलाकों को 2 अक्टूबर तक खुले में शौचमुक्त करने का लक्ष्य बनाया गया है।
दरअसल, नवभारत टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की बजाय महिलाओं को इस अभियान का ज्यादा फायदा मिला है। वहीं, अधिकतर पुरुष खुले में शौच जाना अधिक पसंद करते हैं और शौचालय के इस्तेमाल को अपनी आदत में शुमार नहीं कर पा रहे। यह स्टडी बिहार, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात में कराई गई है।
बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की एक स्टडी के अनुसार, केंद्र के स्वच्छ भारत मिशन के चलते पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण किया गया। अब लोगों को इनके इस्तेमाल के लिए अपनी आदत बदलने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी समीक्षा भी की जा रही है।
वहीं, स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय के इस्तेमाल के प्रति लोगों को जागरूक करने से संबंधित इस स्टडी के अनुसार, ओडिशा में अब भी सबसे अधिक 23% लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते, जबकि बिहार में यह संख्या 10% है। कर्नाटक में 5% जबकि गुजरात में लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते। ओडिशा के 66, बिहार के 92, कर्नाटक के 120 और गुजरात के 94 गांवों में यह हाउस होल्ड सर्वे किया गया।
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इस वजह से खुले में शौच करते है पुरुष
वहीं, इस रिपोर्ट में शौचालय इस्तेमाल न करने के पीछे खेतों के आसपास शौचालय की कमी को 37%, इनके आदत में शुमार न होने को 30% और पानी की अच्छी आपूर्ति न होने को 20% कारण बताया गया। दरअसल, ज्यादातर महिला-पुरुष दिनभर खेतों में काम करते हैं। इस वजह से आसपास शौचालय न होने के कारण वे खुले में ही शौच करते हैं।
ओडिशा में सर्वे करने वाली टीम का हिस्सा रहे अटलांटा की एमोरी यूनिवर्सिटी के बेथॉनी कारुसो ने कहा, ‘शौचालय बन गए हैं, लेकिन हमने पाया कि इनके इस्तेमाल को सुनिश्चित करने को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं। हमने पाया कि जिन क्षेत्रों में हमारी टीमों ने समुदाय के डर और भ्रांतियों को लेकर व्यावाहारिक बदलाव की पहल पर काम किया, वहां शौचालयों का इस्तेमाल बढ़ा है।’
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