देश की मायानगरी मुंबई एक बार फिर से काफी चर्चा में बनी हुई है। इन दिनों मुंबई के सुर्ख़ियों में होने की वजह कोई फिल्म नहीं बल्कि पर्यावरण और मुंबई मेट्रो है। दरअसल, गोरेगांव और फिल्मसिटी के पास स्थित आरे कॉलोनी में मेट्रो डिपो बनाने के लिए 2500 पेड़ काटे जा रहे है, जिसके बाद काफी जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शन को देखते हुए आसपास के इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है तो वहीं कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। बता दें बॉम्बे हाईकोर्ट से मेट्रो डिपो बनाने के लिए पेड़ों की कटाई रोकने संबंधित याचिकाओं के खारिज होने के कुछ ही घंटे बाद BMC के अधिकारियों ने कटाई का काम शुरू कर दिया था।
यहां से शुरू हुआ ‘आरे कॉलोनी’ विवाद
दरअसल, साल 2014 में जब मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट का पहला फेज (वर्सोवा से घाटकोपर तक) जनता के लिए खोला गया तो मेट्रो के अधिक विस्तार की चर्चा होने लगी। इसी के साथ मेट्रो का जाल बढ़ाने की बात होने लगी और मेट्रो को कार पार्किंग के लिए जगह की जरूरत महसूस हुई। इसके लिए आरे में करीब 2000 से ज्यादा पेड़ काटकर मेट्रो के लिए हजारों करोड़ की परियोजना शुरु करने की बात हुई।
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वहीं, पर्यावरण के बचाव में काम करने वाली कई संस्थाओं और लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई लेकिन वन विभाग की ओर से कहा गया कि आरे का इलाका कोई जंगल नहीं है। जब इसकी स्थापना हुई थी तो इसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने की ही योजना बनाई गई थी। बीएमसी ने साल 2019 में मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को 2600 पेड़ काटने की इजाजत दे दी।
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इसके बाद हाईकोर्ट में सितंबर महीने में याचिका दायर की गई कि इस इलाके के पेड़ न काटे जाएं और इसे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण इलाका घोषित किया जाए। 4 अक्टूबर को हाईकोर्ट की ओर से यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी गई कि आरे जंगल नहीं है। याचिकाओं के ख़ारिज होने के बाद आरे कॉलोनी के पेड़ काटने का काम शुरू कर दिया गया, जिससे यह प्रदर्शन शुरू हो गया है।
बता दें देश की आजादी के बाद चार मार्च 1951 को तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पौधरोपण कर डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आरे मिल्क कॉलोनी की नींव रखी थी। पीएम के पौधरोपण के बाद इस इलाके में इतने पेड़ रोपे गए कि 3166 एकड़ क्षेत्रफल में फैले भूभाग ने कुछ ही सालों में जंगल का रूप ले लिया।
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