देशभर में जहां एक तरह बच्चों को अच्छी पढ़ाई देने की बात की जाती है। वहीं, दूसरी तरफ अगर पढ़ाने वाला टीचर ही ऐसा हो जिसे पढ़ाई-लिखाई का कोई ज्ञान ही न हो तो बच्चों का भविष्य कैसा होगा, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। दरअसल हाल ही में उत्तरप्रदेश से एक ऐसे मामले का वीडियो सामने आया है, जिसमें सरकारी स्कूल की एक महिला टीचर से छोटी क्लास की किताब से इंग्लिश की कुछ लाइनें तक नहीं पढ़ी गई।
यह मामला यूपी के उन्नाव जिले के एक सरकारी स्कूल का है, जहां जिलाधिकारी देवेंद्र कुमार पांडे द्वारा एक महिला इंग्लिश टीचर से अंग्रेजी की कुछ लाइन्स पढ़ने को कहा, लेकिन वह टीचर इंग्लिश को सही से पढ़ने में नाकामयाब रही। इसी पर जिलाधिकारी ने टीचर पर भड़कते हुए कहा कि केवल लाइन्स पढ़ने को कहा है, उसमे इतनी दिक्कत है अनुवाद करते समय क्या हाल होगा। साथ ही, उन्होंने उस महिला टीचर को तुरंत सस्पेंड करने के आदेश दिए है।
https://twitter.com/ANINewsUP/status/1200634024588402697
इस वीडियो के सामने आते ही सोशल मीडिया पर भी काफी हडकंप मच गया है और शिक्षा व्यवस्था पर जमकर सवाल उठ रहे है। वहीं, इस मामले पर एक सोशल मीडिया यूजर का कहना है कि उस शिक्षक की गलती नही है। गलती उस प्रक्रिया की है, जो ऐसे शिक्षक नियुक्त करती है। कैसे नियुक्ति हो गई जिसे खुद ही नही आता हो? किसी को सस्पेंड करने से क्या हो जाएगा? कोर्ट जाएगी बहाली फिर से हो जाएगी, जब तक चयन प्रक्रिया नही बदलेगी तब तक ऐसे ही रहेगा।
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बता दे, ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी इस तरह के कई सामने आ रहे है। इतना ही नहीं, यूपी में सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नाम बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने के भी कई मामले सामने आ रखे है। वहीं, केंद्र सरकार भी इस बात को मान चुकी है कि यूपी राज्य भ्रष्टाचार के मामलों में अव्वल नंबर पर है।
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