अजय चौधरी
जाट समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता और वर्तमान में बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है। वे अब जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भारत के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए उन्हें किसान पुत्र बताया है। मतलब साफ है बीजेपी किसान कौम और विशेषकर जाट बिरादरी को संदेश देना चाहती है कि वो उनके साथ खड़ी है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद जगदीप धनखड़ दूसरे ऐसे नेता होंगे जो देश के उच्च संवैधानिक पद पर बैठेंगे।
बीजेपी ऐसा कर अपना किसान हितैषी होने का संदेश भी दे रही है। बीते दिनो हुए किसान आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के जाट समुदाय की खासी भूमिका रही थी। इस समाज ने किसान आंदोलन में बढ़चढ़कर भाग लिया था इसी के चलते कुछ लोग इसे किसान नहीं जाट आंदोलन साबित करने में भी जुट गए थे। जम्मू-कश्मीर के राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाने और धारा 370 हटाने में अहम भूमिका निभाने वाले वहां के उस समय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक लगातार किसानों के हित में मोदी सत्ता के खिलाफ बोलते आए हैं। वे इस समय मेघालय के राज्यपाल हैं लेकिन किसानों के हित में आवाज अभी भी उठाते रहते हैं। ये संदेश सत्यपाल मलिक को भी साफ है कि वो भी अगर भाजपा का साथ देते तो इस बार उपराष्ट्रपति का नंबर उनका हो सकता था।
बीजेपी हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, पंजाब और राजस्थान में जाट वोटर नहीं खोना चाहती-
ऐसे में भाजपा पर इस फैसले के पीछे सत्यपाल मलिक जैसे बड़े जाट नेताओं का नाराज होने, पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के चमकने और हरियाणा में हुड्डा बंधुवों के फिर से एक्टिव होने को भी कारण माना जा रहा है। बीजेपी उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में जाट वोटरों को खोना नहीं चाहती है, जगदीप धनखड़ खुद राजस्थान से आते हैं वहां के विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय अहम भूमिका निभाता है। राजस्थान में अगले साल 2023 में ही चुनाव होने हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीदवार बना बीजेपी ने एक तीर से कईं निशाने साधे हैं। किसान आंदोलन का असर भी इन्हीं राज्यों में अधिक था और बीजेपी जाटों की नाराजगी को भांप चुकी है।
जाट समाज ने की थी अमित शाह से समुदाय से किसी के बड़े पद पर न होने की शिकायत-
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अमित शाह ने भाजपा के जाट नेताओं सहित जाट समाज के नेताओं से एक वर्ता की थी। उसमें रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को अखिलेश गठबंधन से तोड़ने की बात हुई थी। अमित शाह ने जाटों की नाराजगी देखते हुए जयंत को भाजपा के साथ आने का न्यौता दिया था लेकिन जयंत ने इसे अस्विकार करते हुए कहा था कि मैं कोई चव्वनी नहीं हूं जो पलट जाउं और हमारा गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ ही है और उन्हीं के साथ ही रहेगा, जयंत ने ये भी कहा था कि जब दिल्ली बॉर्डर पर 700 से अधिक किसान शहीद हुए थे तब भाजपा कहां थी, पहले बात करनी है तो उन किसानों के परिवारों से करें फिर मुझसे करें।
इसी वर्ता में जाट समाज के नेताओं ने अमित शाह के सामने जाटों की नाराजगी को लेकर बहुत से मुद्दे रखे थे जिनमें से एक जाट समाज से किसी व्यक्ति के बड़े पद पर न होने का मुद्दा भी था। हालांकि फिलहाल केंद्र में मुज्जफरनगर से सांसद संजीव बालियान राज्य मंत्री हैं। जिसपर अमित शाह ने जाट समाज से इस बात पर विचार कर बड़ा फैसला लेने की बात कही थी। अब भाजपा जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना राजस्थान, हरियाणा और 2024 के लोकसभा चुनाव में जाट समाज को बीजेपी से जोड़ने की राह पर निकल गई है।
राष्ट्रीय लोकदल ने उत्तरप्रदेश में उठाया किसान मुद्दा का फायदा-
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में जंयत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को किसान आंदोलन का फायदा इसबार मिला है। ये फायदा उम्मीद के मुताबिक तो उन्हें नहीं मिला है लेकिन वे आठ विधायकों को ही जिताने में कामयाब हुए हैं। जयंत पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पोते हैं और उनके पिता चौधरी अजित सिंह का कोरोना से देहांत हो जाने के बाद पार्टी की कमान उन्हीं के हाथों में आ गई थी और उन्होंने इस बार टिकटों का बंटवारा भी अपने मन मुताबिक किया था। जंयत चौधरी कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दों को जनता के बीच उठाया जिसका उन्हें लाभ मिला। अब जयंत किसानों के बाद अग्नीपथ योजना पर युवाओं के पक्ष में यूपी में जगह- जगह पंचायत कर रहे हैं। किसान आंदोलन उनके लिए एक संजीवनी बूटी साबित हुई है।
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जाट नेताओं की परिवारिक विरासतों को खत्म करना बीजेपी का मकसद-
बीजेपी जगदीप धनखड़ को बड़े सैंवेधानिक पदों पर बैठाकर जाट परिवारों की विरासत को खत्म करने की तरफ आगे कदम बढ़ा रही है। भाजपा ऐसा कर जाटों के बीच एक बडा जाट नेता स्थापित करना चाहती है ताकि हरियाणा में चौधरी देवीलाल की विरासत संभाल रहा चौटाला परिवार और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा और उनका परिवार, उत्तरप्रदेश में चौधरी चरण सिंह की विरासत संभाल रहा उनका परिवार, किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का परिवार आदि का परापरिंक वोट बैंक खिसक कर पूरी तरह भाजपा के खाते में आ सके और इन सभी प्रभावी लोगों की पकड़ कमजोर हो सके। ऐस में राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी में बड़ा फेरबदल आप देख सकते हैं। आपका याद होगा सचिन पायलट के भरोसे बीजेपी ने राजस्थान की सत्ता बीच में ही पलटने की कोशिश की थी लेकिन कहा जाता है कि वसुंधरा राजे ने इस फैसले की खिलाफत की थी, राजे भी धौलपुर के जाट खानदान की बहु हैं। ऐसे में महाराष्ट्र के बाद राजस्थान बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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