भारत के कानून मंत्री किरण रिजिजू आज पटना में थे। वहां उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और सुप्रीम कोर्ट के छह जजों के सामने न्यायायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमें देखना होगा कि न्याय वितरण प्रणाली में सुधार कैसे होगा, ये सिर्फ जजों की संख्या बढाने से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मामलों में देरी होना चिंता को बढाता है। उन्होंने कहा कि जजों को वकीलों को और सरकार को भी अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए कि कोई मामला 10 से 15 सालों तक क्यों लंबित चल रहा है।
Glad to ddress ‘The National Seminar & Training Program’ at Patna organised by the Bar Council of India and Bihar Bar Council, in the presence of Hon’ble Chief Justice of India Justice UU Lalit, Judges of Supreme Court, Chief Justices of Patna HC & Jharkhand HC and HC Judges. pic.twitter.com/64ASxqZrb5
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 24, 2022
देशभर में इतने मामले हैं लंबित-
पटना में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रिजिजू बोल रहे थे। उन्होंने लंबित मामलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब वो मंत्री बने तो देशभर में चार करोड 25 लाख मामले लंबित थे और कोरोना के कारण इनकी संख्या बढ़कर चार करोड़ 80 लाख हो गई है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा इसे कम करने के लिए मध्यस्थता और मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक तरीकों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण अधिक से अधिक लोक अदालतों को बढ़ावा देकर समस्या से छुटकारा पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
Union Minister for Law and Justice @KirenRijiju addresses a seminar organized by Bar Council of India and Bihar State Bar Council in Patna; Says 4.8 Crore cases are pending in courts and to reduce this there is a need to promote alternative ways like mediation and arbitration. pic.twitter.com/Q00sROLWAE
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 24, 2022
हाईकोर्टों में खामियां आई नजर-
कानून मंत्री इस कार्यक्रम में खुलकर बोले वो उन्होंने कहा कि मेरे पास हाईकोर्टों के ऐसे कईं सारे वीडियो आए हैं जिनमें बहुत सी खामियां मिल हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ होने वाली टिप्पणिया ठीक नहीं है, जजों की कार्यवाही में कईं खामियां है इनपर कार्यवाही करनी होगी। लाइव स्ट्रीमिंग में सुधार की आवश्यकता है। देश के आम आदमी को सुलभ न्याय के लिए सरकार टेली लॉ सुविधा और डिजिटल कोर्ट को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं को निशुल्क अवधारणा पर काम करना चाहिए क्योंकि सरकार राष्ट्रीय कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) की मदद से देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान कर रही है।
उन्होंने कहा कि बीते आठ सालों में केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे देश की न्याय व्यवस्था को नुकसान पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि न्यायतंत्र संविधान के अनुसार काम करे ताकि सरकार और उनके बीच मधुर संबध कायम रहे। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने देश में कोर्ट के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 09 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
उन्होंने फास्ट ट्रैक कोर्ट को पूरी ताकत से सक्रिय करने की भी बात कही। रिजिजू ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से देश में 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट के कामकाज के लिए एक ढांचा तैयार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वीकृत संख्या के मुकाबले 896 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों के पास ताकत-
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इस कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि वकील वो व्यक्ति है जो कानून का शासन को संभाले और उसका मान करे। वकील हर बात में कारण खोजता है और उसे राष्ट्रीय स्तर पर सोचता है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने भी दांडी यात्रा के दौरान नमक को चुना था क्योंकि नमक का जीवन में काफी महत्व है। वकीलों के पास काफी बड़ी ताकत है इसका उन्हें इस्तेमाल करना चाहिए और उसे लेकर आगे बढ़ना चाहिए। वकीलों के पास अपनी बात मनवाने की ताकत है, इसका सही इस्तेमाल उन्हें समाज में करना चाहिए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट केजज संजय किशन ने वकीलों से अपील की कि जब कोर्ट और वकीलों के बीच मतभेद हों तो वकील हड़ताल पर न जाएं। क्योंकि इससे न्यायायिक प्रक्रीया पर असर पड़ता है और लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
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